स्ट्रॉबेरी की खेती भारत में तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है, और झारखंड के नेतरहाट और पलामू जैसे क्षेत्रों में किसानों का उत्साह इसे लेकर देखते ही बनता है। इस फल की खेती न केवल मुनाफ़े का ज़रिया बन रही है, बल्कि ये किसानों को बाजार में नई संभावनाएं भी देती है। हालांकि, स्ट्रॉबेरी की सही और भरपूर उपज पाने के लिए केवल बुवाई करना ही पर्याप्त नहीं है। विशेषकर सर्दियों में पौधों की सुरक्षा और फलों की गुणवत्ता बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। इस समय तापमान में गिरावट और मिट्टी की नमी के कारण पौधों को ठंड और संक्रमण से बचाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसे में मल्चिंग एक बेहद प्रभावी और किफायती उपाय बनकर सामने आता है।
मल्चिंग पौधों के चारों ओर एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है, मिट्टी की नमी बनाए रखता है, फलों को मिट्टी के संपर्क से बचाता है और बीमारियों तथा कीटों से सुरक्षा प्रदान करता है। इससे फलों की ताजगी और गुणवत्ता भी लंबे समय तक बनी रहती है।
कृषि विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद कुमार लोकल 18 से बात करते हुए बताते हैं कि, मल्चिंग से मिट्टी की नमी बनी रहती है, खरपतवार नियंत्रित रहते हैं और तापमान स्थिर रहता है। सबसे अहम बात ये है कि फल सीधे मिट्टी के संपर्क में नहीं आते, जिससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप फल साफ और लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं।
किसान धान की भूसी, सूखे पत्ते, लकड़ी के चिप्स या कम्पोस्ट जैसी आसानी से मिलने वाली सामग्री का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये सभी पर्यावरण के अनुकूल हैं और लागत भी कम होती है।
पुआल यानी सूखी घास, स्ट्रॉबेरी के लिए सबसे अच्छा देसी विकल्प है। गेहूं की कटाई के बाद बची पुआल का उपयोग करके पौधों को कीटों और ठंड से बचाया जा सकता है। साथ ही, ये मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाता है।
पुआल या भूसी को ढीला करके गांठें निकाल दें। जरूरत पड़ने पर हल्का गीला करें, ताकि खेत में फैलाने पर ये उड़ न जाए। ये आसान तैयारी पौधों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
सर्दियों की शुरुआत में जब तापमान लगभग 20°F (-6.6°C) तक गिरने लगे, पौधों के चारों ओर ढीली परत में पुआल बिछाएं। इस प्रक्रिया से पौधे ठंड से सुरक्षित रहते हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती आम तौर पर क्यारी बनाकर की जाती है।
जैसे ही बसंत में नए पत्ते निकलें, धीरे-धीरे मल्चिंग हटाना शुरू करें। इसे जल्दी या देर से हटाना पौधों के लिए नुकसानदेह हो सकता है, इसलिए समय का ध्यान रखें।
उत्पादन में बढ़ोतरी और मुनाफा
मल्चिंग से पौधों की सेहत बेहतर रहती है, फल साफ रहते हैं और उपज 20–30% तक बढ़ सकती है। खास बात ये है कि ये प्रक्रिया भूसी या पत्तों जैसे देसी नुस्खों से कम लागत में पूरी हो जाती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है।