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Farming Tips: सर्दियों में फसल बर्बाद होने से बचाएं, अपनाएं ये एक्सपर्ट टिप्स और पाएं बंपर पैदावार!

Farming Tips: सर्दियों के मौसम के आते ही गुजरात के खेतों में हलचल बढ़ जाती है। किसान आलू, मिर्च, टमाटर, पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली और शिमला मिर्च जैसी सब्जियों की बुवाई में जुट जाते हैं। सही मिट्टी, गुणवत्ता वाले पौधे और उचित देखभाल के बिना फसल पर कीट और रोग असर डाल सकते हैं, जिससे उत्पादन कम हो सकता है

अपडेटेड Oct 07, 2025 पर 3:35 PM
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Farming Tips: कीट और रोग से बचाव के लिए जैविक उपाय अपनाना सबसे सुरक्षित है।

सर्दियों के मौसम के आते ही गुजरात के खेतों में हरियाली और हलचल का नजारा देखने को मिलता है। किसान इस समय आलू, मिर्च, पत्तागोभी, फूलगोभी, टमाटर, बैंगन, मेथी, पालक, धनिया, चुकंदर, ब्रोकली और शिमला मिर्च जैसी सब्जियों की बुवाई में जुट जाते हैं। ये मौसम इन फसलों के लिए आदर्श माना जाता है क्योंकि तापमान और मिट्टी की नमी उन्हें तेजी से बढ़ने में मदद करती है। लेकिन इस आसान सी बात के बावजूद, कई बार बिना वैज्ञानिक जानकारी के बुवाई और देखभाल करने से फसल की पैदावार कम हो सकती है। कीट और रोग जल्दी फैल सकते हैं, और उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

इसलिए विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों की खेती में सही मिट्टी तैयार करना, गुणवत्ता वाली किस्मों का चयन करना और जैविक या नियंत्रित उर्वरक व कीटनाशक का उपयोग करना बेहद जरूरी है। अगर किसान इन बातों का ध्यान रखें, तो न सिर्फ फसल सुरक्षित रहती है, बल्कि उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बढ़ते हैं।

उच्च गुणवत्ता वाली किस्मों का चयन

डीसा कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. योगेश पवार के अनुसार, सबसे पहले किसानों को फसल के लिए अच्छे और उच्च गुणवत्ता वाले बीज या पौधे चुनने चाहिए। पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली और शिमला मिर्च जैसी सब्जियों के लिए रूटस्टॉक नर्सरी में तैयार करना लाभकारी होता है। इससे पौधों की मजबूती बढ़ती है और खेत में बेहतर उत्पादन मिलता है।


मिट्टी और उर्वरक का सही प्रबंधन

मिट्टी को तैयार करना और उर्वरक का सही इस्तेमाल करना फसल की सफलता के लिए अहम है। गोबर की खाद मिट्टी में कार्बनिक तत्व बढ़ाती है, जबकि रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग नुकसान कर सकता है। बैंगन, मिर्च, फूलगोभी और अन्य फसलों के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की सही मात्रा देना जरूरी है।

जैविक कीट और रोग नियंत्रण

कीट और रोग से बचाव के लिए जैविक उपाय अपनाना सबसे सुरक्षित है। फफूंद रोकने के लिए ट्राइकोडर्मा या पेसिलोमाइसीज का उपयोग किया जा सकता है। कीटों के लिए बेवेरिया बेसिया, मेटारिज़ियम या लेमनग्रास तेल मददगार होते हैं। प्राकृतिक तरीके अपनाने वाले किसान नीमाश्रय या खट्टी छाछ भी इस्तेमाल कर सकते हैं। रोगग्रस्त पौधों को तुरंत हटाना फसल को सुरक्षित रखता है।

सिंचाई और रासायनिक छिड़काव में सावधानी

फूलगोभी, पत्तागोभी और ब्रोकली जैसी फसलों पर फफूंद से बचने के लिए ड्रिप या खुली सिंचाई करें। रासायनिक कीटनाशक और फफूंदनाशक केवल तभी प्रयोग करें जब जैविक तरीके काम न करें। नियमित निरीक्षण और 20 दिन के अंतराल पर छिड़काव से फसल रोग-मुक्त रहती है।

किसानों की जिम्मेदारी और लाभ

उच्च गुणवत्ता और बेहतर उत्पादन के लिए वैज्ञानिक सुझावों का पालन जरूरी है। अच्छी किस्में चुनना, मिट्टी तैयार करना, जैविक कीट नियंत्रण और सिंचाई का सही प्रबंधन फसल की लागत कम करता है और उत्पादन बढ़ाता है। इन तरीकों से किसान सर्दियों की सब्जी फसलों से ज्यादा लाभ और बेहतरीन गुणवत्ता हासिल कर सकते हैं।

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