सरकार गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा सकती है। इसका ऐलान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण यूनियन बजट में 1 फरवरी को कर सकती हैं। इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि सरकार ने पिछले साल जुलाई में यूनियन बजट में गोल्ड की इंपोर्ट ड्यूटी में बड़ी कमी की थी। इससे गोल्ड की खपत तो बढ़ी है, लेकिन गोल्ड ज्वैलरी का एक्सपोर्ट नहीं बढ़ा है। गोल्ड की खपत बढ़ने से फिस्कल डेफिसिट बढ़ा है। इसका असर रुपये पर पड़ा है। डॉलर के मुकाबले रुपया 87 के लेवल के करीब पहुंच गया है।
पिछले साल बजट में घटी थी इंपोर्ट ड्यूटी
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 23 जुलाई, 2024 को गोल्ड और सिल्वर पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने का ऐलान किया था। इसे 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया था। यह गोल्ड की इंपोर्ट ड्यूटी में अब तक की सबसे बड़ी कमी थी। इससे 2013 के बाद पहली बार गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी घटकर 10 फीसदी से नीचे आ गई थी। पिछले साल नवंबर के ट्रेड के डेटा 16 दिसंबर को रिलीज किए गए हैं। इससे पता चलता है कि इंडिया का ट्रेड डेफिसिट रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया है। इसमें गोल्ड इंपोर्ट बढ़ने का बड़ा हाथ है।
इंडिया गोल्ड की खपत के मामले में दूसरे पायदान पर
इंडिया गोल्ड की खपत के मामले में दुनिया में दूसरे पायदान पर है। यह गोल्ड की अपनी ज्यादातर जरूरत इंपोर्ट से पूरा करता है। पिछले साल इंपोर्ट ड्यूटी में कमी के बाद गोल्ड की खपत बढ़ी है। इसका असर ट्रेड डेफिसिट पर पड़ा है। अगस्त में गोल्ड के इंपोर्ट में 104 फीसदी उछाल देखने को मिला। उसके बाद के महीनों में इंपोर्ट में कुछ कमी आई। लेकिन, नवंबर में यह फिर से रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंच गया।
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गोल्ड इंडस्ट्री इंपोर्ट ड्यूटी कम बनाए रखने के पक्ष में
गोल्ड का इंपोर्ट बढ़ने के बावजूद इंडस्ट्री ने सरकार को इंपोर्ट ड्यूटी कम बनाए रखने की सलाह दी है। उसका मानना है कि इंपोर्ट ड्यूटी घटने से सोना आयात करना आसान हो गया है। इससे गोल्ड की स्मग्लिंग में कमी आई है। गोल्ड ज्वैलरी इंडस्ट्री का भी कहना है कि इंपोर्ट ड्यूटी में कमी से वर्किंग कैपिटल की जरूरत में कमी आई है। इसका अच्छा असर इंडस्ट्री की सेहत पर पड़ा है। इंडस्ट्री का मानना है कि सरकार आगे भी गोल्ड की इंपोर्ट ड्यूटी कम बनाए रखेगी।