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Budget 2025: इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के रास्ते की बाधाएं दूर करेगी सरकार, इन शेयरों में आएगी तेजी

ईवी इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को कहना है कि जब तक इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कीमतों में कमी नहीं आएगी, तब तक इन्हें खरीदने में लोगों की दिलचस्पी नहीं बढ़ेगी। अभी बैटरी सेल्स के आयात के मामले में चीन पर हमारी निर्भरता है। अगर देश में इसके उत्पादन पर फोकस बढ़ाया जाए तो इससे काफी फायदा होगा

अपडेटेड Jan 28, 2025 पर 2:44 PM
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सरकार 2030 तक ऑटो की कुल सेल्स में ईवी की 30 फीसदी हिस्सेदारी चाहती है।

अगर आप इलेक्ट्रिक व्हीकल्स खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको यूनियन बजट में खुशखबरी मिल सकती है। सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए यूनियन बजट 2025 में बड़े ऐलान करने जा रही है। अभी लोग इलेक्ट्रिक स्कूटर और कार खरीदना तो चाहते हैं, लेकिन इन वजहों से नहीं खरीद पाते हैं। ईवी इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार ने ईवी के रास्ते की बड़ी बाधाओं की पहचान कर ली है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बजट में इन्हें दूर करने के लिए बड़े ऐलान कर सकती हैं।

ईवी चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ानी होगी

अभी ईवी (Electric Vehicles) खरीदने में सबसे बड़ी दिक्कत उसकी महंगी बैटरी है। हर तीन-चार साल पर ईवी की बैटरी बदलनी पड़ती है। इस पर काफी ज्यादा पैसे खर्च होते हैं। दूसरा, अभी इंडिया की निर्भरता आयातित बैटरी सेल्स पर है। इंडिया मुख्यत: चीन से बैटरी सेल्स का आयात करता है। तीसरी बाधा ईवी चार्जिंग स्टेशनों का कमजोर नेटवर्क है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर सरकार ईवी के इस्तेमाल में लोगों की दिलचस्पी बढ़ाना चाहती है तो उसे जल्द चार्जिंग स्टेशन का स्ट्रॉन्ग नेटवर्क बनाना होगा।


ईवी कंपोनेंट्स पर जीएसटी घटाना होगा

Oben Electric के सीटीओ और सीओओ दिनकर अग्रवाल ने कहा कि अगर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कीमतों में कमी लानी है तो ईवी, कंपोनेंट्स और चार्जिंग स्टेशनों पर 5 फीसदी का एक समान जीएसटी लागू करना होगा। अभी ईवी कंपोनेंट्स और चार्जिंग की सर्विस पर जीएसटी रेट्स काफी ज्यादा हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर भी फोकस बढ़ाना होगा। इससे उत्पादन लागत में कमी आएगी। इसका सीधा असर ईवी की कीमत पर भी पड़ेगा। अभी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर 5 फीसदी जीएसटी लगता है। लेकिन, ईवी में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स पर 18 से 28 फीसदी जीएसटी लगता है।

ईवी खरीदने के लिए कम इंटरेस्ट पर लोन

सरकार बैंकों को ईवी के लिए कम इंटरेस्ट पर लोन देने का भी निर्देश दे सकती है। इससे बैंकों और एनबीएफसी को होने वाले नुकसान की भरपाई सरकार कर सकती है। सस्ता लोन मिलने पर लोगों की दिलचस्पी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स खरीदने में बढ़ेगी। ईवी इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर इलेक्ट्रिक स्कूटर और कार के ऑटो लोन पर लोगों को इंटरेस्ट पर डिडक्शन की सुविधा दी जाती है तो इससे भी ईवी खरीदने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी।

ईवी मैन्युफैक्चरिंग में टाटा मोटर्स सबसे आगे

सरकार 2030 तक ऑटो की कुल सेल्स में ईवी की 30 फीसदी हिस्सेदारी चाहती है। इसके लिए सरकार को बड़े ऐलान करने होंगे। अगर सरकार ईवी के लिए 1 फरवरी को बड़े ऐलान करती है तो इससे ऑटो कंपनियों के शेयरों में तेजी दिख सकती है। खासकर उन कंपनियों के शेयरों में तेजी दिख सकती हैं, जिनके प्रोडक्ट्स पोर्टफोलियो में ईवी की संख्या ज्यादा है। इस लिहाज से टाटा मोटर्स को सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है। ईवी की मैन्युफैक्चरिंग में Tata Motors सबसे आगे हैं। कंपनी के शेयर पिछले तीन महीनों में 18 फीसदी से ज्यादा गिरे हैं।

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ऑटो स्टॉक का मिलाजुला प्रदर्शन

Maruti Suzuki के शेयरों का प्रदर्शन बीते तीन महीनों में अपेक्षाकृत बेहतर रहा है। कंपनी का स्टॉक बीते तीन महीनों में करीब 5 फीसदी चढ़ा है। महिंद्रा एंड महिंद्रा का स्टॉक इस दौरान 4 फीसदी उछला है। लेकिन, ह्यूंडई मोटर का स्टॉक करीब 7 फीसदी गिरा है। Ole Electric के शेयरों में इस दौरान करीब 12 फीसदी गिरावट आई है।

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