ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने सरकार को बजट से पहले 5 सलाह दी है। अगर सरकार इन सलाहों को मानती है तो इकोनॉमी की रफ्तार फिर से बढ़ जाएगी। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ घटकर 5.4 फीसदी पर आ गई है। इकोनॉमिस्ट्स और इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने सरकार से जल्द कंजम्पशन बढ़ाने के उपाय करने की सलाह दी है। उनका मानना है कि अगर जल्द कंजम्प्शन बढ़ाने के उपाय नहीं किए गए तो इंडियन इकोनॉमी में बड़ी सुस्ती दिख सकती है।
टैक्स के नियमों को आसान बनाया जाए
सरकार को टैक्स के नियमों को आसान बनाने पर फोकस बढ़ाना होगा। जीएसटी की व्यवस्था लागू हुए 7 साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन अब भी इस सिस्टम में कई खामियां हैं। सरकार को इनकम टैक्स के नियमों को भी आसान बनाने के उपाय करने होंगे। इससे टैक्स कंप्लायंस में लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी। इससे सरकार का रेवेन्यू बढ़ेगा।
मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि सरकार को राज्यों को पूंजीगत खर्च के लिए इंटरेस्ट फ्री लोन देने के लिए कुछ शर्तें तय करनी चाहिए। केंद्र को प्रदर्शन के आधार पर राज्यों को यह लोन देना चाहिए। इससे राज्यों में जिम्मेदारी की भावना बढ़ेगी। वे पूंजीगत खर्च करने में सावधानी बरतेंगे।
कंजम्प्शन की जगह इनकम बढ़ाने पर फोकस
ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि सरकार को कंजम्पशन बढ़ाने के उपायों की जगह परिवारों की इनकम बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए। सरकार बजट में कंस्ट्रक्शन सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए उपायों का ऐलान कर सकती है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर में बड़ी संख्या में रोजगार के मौके पैदा करने की क्षमता है। सरकार को एमएसएमई को प्रोत्साहन देने के भी उपाय करने होंगे।
फिस्कल डेफिसिट को कम करने के उपाय
मोतीलाल ओसवाल का मानना है कि सरकार को अगले वित्त वर्ष के लिए फिस्कल डेफिसिट का 4.5 फीसदी का टारगेट तय करना चाहिए। पिछले साल बजट में सरकार ने फिस्कल डेफिसिट के लिए 4.9 फीसदी का टारगेट तय किया था। इस टारगेट के हासिल होने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। सरकार को पूंजीगत खर्च भी बढ़ाना होगा। सरकार इसके लिए FY25 के टारगेट में 10-15 फीसदी वृद्धि कर सकती है। पिछले साल सरकार ने पूंजीगत खर्च के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपये का टारगेट रखा था।
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प्राइवेट इनवेस्टमेंट बढ़ाने पर ज्यादा फोकस
ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि सरकार को प्राइवेट इनवेस्टमेंट बढ़ाने के लिए कंपनियों को प्रोत्साहित करना होगा। सरकार ने पिछले 2-3 सालों में अपना खर्च काफी बढ़ाया है। लेकिन, प्राइवेट कैपिटल एक्सपेंडिचर में ज्यादा इजाफा देखने को नहीं मिला है। अगर कंपनियां पूंजीगत खर्च बढ़ाएंगी तो इसका इकोनॉमी पर पॉजिटिव असर पड़ेगा। े