Budget 2025: फिस्कल डेफिसिट के आंकड़ों से सरकार खुश, FY26 के लिए 4.5% होगा टारगेट

कुछ इकोनॉमिस्ट्स का मानना है कि फाइनेंशियल ईयर 2025 में सरकार का फिस्कल डेफिसिट टारगेट से कम रह सकता है। सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए 4.9 फीसदी फिस्कल डेफिसिट का टारगेट तय किया है। अप्रैल-नवंबर के फिस्कल डेफिसिट के डेटा को देख इस टारगेट के हासिल होने को लेकर किसी तरह का संदेह नहीं रह गया है

अपडेटेड Dec 31, 2024 पर 6:31 PM
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फिस्कल डेफिसिट का सरकार के तय टारगेट के बराबर या उससे कम रहना इकोनॉमी के लिहाज से पॉजिटिव है।

इस साल अप्रैल से नवंबर के बीच फिस्कल डेफिसिट के आकंड़ों से सरकार खुश है। इस वित्त वर्ष के शुरुआती 8 महीनों में फिस्कल डेफिसिट 8.47 फीसदी है। यह पूरे वित्त वर्ष के 16.13 लाख करोड़ रुपये के टारगेट का 52.5 फीसदी है। यह एक साल पहले की समान अवधि में 9.07 लाख करोड़ रुपये के फिस्कल डेफिसिट से भी कम है। इससे सरकार के यूनियन बजट 2025 में फिस्कल डेफिसिट के लिए 4.5 फीसदी का टारगेट तय करने की संभावना बढ़ गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को यूनियन बजट पेश करेंगी। इसमें वह अगले वित्त वर्ष के फिस्कल डेफिसिट के टारगेट का ऐलान करेंगी।

FY25 का फिस्कल डेफिसिट टारगेट से कम रह सकता है

कुछ इकोनॉमिस्ट्स का मानना है कि फाइनेंशियल ईयर 2025 में सरकार का फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit) टारगेट से कम रह सकता है। सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए 4.9 फीसदी फिस्कल डेफिसिट का टारगेट तय किया है। अगर सरकार यूनियन बजट 2025 में अगले वित्त वर्ष के लिए 4.5 फीसदी फिस्कल डेफिसिट का टारगेट तय करती है तो इस टारगेट को हासिल करने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। सरकार ने फिसक्ल डेफिसिट को FY26 तक 4.5 फीसदी तक लाने का टारगेट तय किया है।


फिस्कल डेफिसिट का कम रहना इकोनॉमी के लिए पॉजिटिव

फिस्कल डेफिसिट का सरकार के तय टारगेट के बराबर या उससे कम रहना इकोनॉमी के लिहाज से पॉजिटिव है। फिस्कल डेफिसिट में कमी आने का मतलब है कि सरकार को मार्केट से कम कर्ज लेना पड़ेगा। अगर सरकार कम कर्ज लेगी तो उसे इंटरेस्ट पर कम खर्च करना पड़ेगा। इससे उसके हाथ में ज्यादा पैसे बचेंगे, जिसका इस्तेमाल वह इंफ्रास्ट्रक्चर सहित पब्लिक एक्सपेंडिचर के लिए कर सकती है। साथ ही सरकार के कम कर्ज लेने से प्राइवेट सेक्टर के लिए बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडीटी रहेगी।

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फिस्कल डेफिसिट को नियंत्रण में रखने पर होगा सरकार का फोकस

कोविड की महामारी के दौरान सरकार का फिस्कल डेफिसिट काफी बढ़ गया था। इसकी वजह यह थी कि सरकार को महामारी को बढ़ने से रोकने के लिए मेडिकल सुविधाओं को बेहतर बनाने पर खर्च बढ़ाना पड़ा था। दूसरी तरफ आर्थिक गतिविधियां घट जाने का असर सरकार के रेवेन्यू पर भी पड़ा था। हालांकि, अब सरकार वित्तीय दबाव से बाहर आ रही है। ऐसे में उसकी कोशिश FRBM एक्ट के मुताबिक, फिस्कल डेफिसिट को नियंत्रण में लाने की होगी।

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