सरकार ने इस साल यूनियन बजट में फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के सौदों पर सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) बढ़ाने का ऐलान किया था। 1 अक्टूबर, 2024 से यह वृद्धि लागू हो गई है। स्टॉक मार्केट्स से जुड़े एक्सपर्ट्स का मानना है कि एसटीटी की वजह से शेयरों में निवेश की लागत बढ़ जाती है। दरअसल, यह एक तरह का टैक्स है, जो शेयरों की खरीद और बिक्री पर लागू होता है। यह डिलीवरी आधारित स्टॉक ट्रांजेक्शन के साथ एफएंडओ सौदों पर भी लागू होता है।
एसटीटी से 40000 करोड़ रुपये रेवेन्यू
सरकार को STT से इस साल 1 अप्रैल से 17 दिसंबर के बीच 40,114 करोड़ रुपये मिले हैं। स्टॉक मार्केट्स में वॉल्यूम बढ़ने पर एसटीटी कलेक्शन बढ़ता है। स्टॉक एक्सचेंज में होने वाले हर ट्रांजेक्शन पर एसटीटी लगता है और यह पैसा सरकार को टांसफर कर दिया जाता है। इस तरह यह सरकार के लिए रेवेन्यू का एक स्रोत है। हालांकि, दूसरे टैक्स के मुकाबले एसटीटी से मिलने वाला पैसा काफी कम है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसे हटाने से स्टॉक मार्केट में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ सकती है।
शेयर ट्रांजेक्शंस पर एसटीटी के रेट्स
सरकार ने जुलाई में पेश यूनियन बजट में ऑप्शंस बेचने पर एसटीटी का रेट 0.0625 फीसदी से बढ़ाकर 0.1 फीसदी कर दिया था। यह प्रीमियम पर लगता है। इसका मतलब है कि अगर अगर आप कोई ऑप्शन बेचते हैं, जिसका प्रीमियम 100 रुपये है तो इस पर आपको 10 पैसे का एसटीटी चुकाना होगा। फ्यूचर्स की बिक्री पर इसे बढ़ाकर 0.02 फीसदी कर दिया है। यह ट्रेड प्राइस पर लगता है। इसका मतलब है कि अगर आप 1 लाख रुपये मूल्य का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट बेचते हैं तो उस पर 20 रुपये का एसटीटी चुकाना होगा। शेयरों की डिलीवरी वाले ट्रांजेक्शन पर एसटीटी 0.1 फीसदी लगता है। यह शेयर खरीदने वाले और बेचने वाले यानी दोनों पर लगता है। इंट्रा-डे ट्रेड पर 0.025 फीसदी एसटीटी लागू होता है।
यह भी पढ़ें: Budget 2025: इकोनॉमिक सर्वे क्या है, किस तारीख को पेश होगा यह सर्वे?
एसटीटी हटाने की क्यों हो रही मांग
पीएचडीसीसीआई ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को बजट-पूर्व चर्चा में एसटीटी हटाने की सलाह दी है। उद्योग चैंबर का कहना है कि एसटीटी हटाने से शेयरों में निवेश की लागत कम हो जाएगी। इससे स्टॉक मार्केट्स में निवेश करने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी। अक्टूबर से स्टॉक मार्केट में गिरावट जारी है। इससे निवेशकों का सेंटीमेंट काफी कमजोर है। अगर वित्तमंत्री निर्मला सीतारम 1 फरवरी, 2025 को यूनियन बजट में एसटीटी हटाने का ऐलान करती हैं तो इसका पॉजिट असर मार्केट के सेंटिमेंट पर पड़ सकता है।