इकोनॉमिक सर्वे अर्थव्यवस्था का हाल बताने वाला सबसे व्यापक डॉक्युमेंट है। इसमें इकोनॉमी की सेहत, संभावनाओं और उसके रास्ते की चुनौतियों के बारे में पूरी जानकारी होती है। हर साल यूनियन बजट से ठीक एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश होता है। लेकिन, पहले इसे यूनियन बजट के साथ पेश किया जाता था। 1950 से 1964 के बीच इकोनॉमिक सर्वे को बजट के साथ पेश किया जाता था। उसके बाद इसे अलग से पेश किया जाने लगा। तब से यह परंपरा जारी है।
31 जनवरी को पेश होगा इकोनॉमिक सर्वे
वित्तमंत्री निर्लमा सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी, 2025 को यूनियन बजट (Union Budget) पेश कर सकती हैं। चूंकि, इकोनॉमिक सर्वे यूनियन बजट से ठीक एक दिन पहले पेश किया जाता है। इसलिए इस बार इकोनॉमिक सर्वे 31 जनवरी को पेश होने की उम्मीद है। सरकार की तरफ से जल्द इसका औपचारिक ऐलान होने की उम्मीद है।
इकोनॉमिक सर्वे को तैयार करने की जिम्मेदारी आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) पर होती है। इसे चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर की देखरेख में तैयार किया जाता है। अभी वी अनंत नागेश्वरन चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में न सिर्फ चालू वित्त वर्ष में इकोनॉमी की सेहत के बारे में जानकारी होती है बल्कि इसमें पिछले वित्त वर्षों से जुड़े इकोनॉमी के डेटा भी होते हैं।
इकोनॉमिक सर्वे के दो हिस्से होते हैं
इकोनॉमिक सर्वे के दो हिस्से-पार्ट ए और पार्ट बी होते हैं। आम तौर पर पार्ट ए में करेंट फाइनेंशियल ईयर से जुड़ी अहम बातें शामिल होती हैं। इसमें इकोनॉमी की सेहत के बारे में पूरी जानकारी होती है। पार्ट बी में इंडियन इकोनॉमी से जुड़े सामाजिक-आर्थिक मसलों का उल्लेख होता है। उदाहरण के लिए इसमें एजुकेशन, गरीबी, मानव संसाधन और सामाजिक सुरक्षा जैसे मसले शामिल होते हैं।
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इकोनॉमिक सर्वे को इकोनॉमी की हाल बताने वाला सबसे अहम और भरोसेमंद दस्तावेज माना जाता है। इसकी वजह यह है कि इसमें अर्थव्यवस्था से जुड़े हर पहलू की चर्चा होती है। उदाहरण के लिए इसमें जीडीपी ग्रोथ का अनुमान, विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति, व्यापार घाटा, इनफ्लेशन , आयात और निर्यात, सरकार के कर्ज आदि शामिल होते हैं। इसे संसद के दोनों सदनों-लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया जाता है।