हेल्थकेयर सर्विसेज के मामले में इंडिया ने काफी तरक्की की है। आज दुनिया के कई देशों के लोग इलाज कराने के लिए भारत आते हैं। फार्मा और हॉस्पिटल इंडस्ट्री का मानना है कि अगर सरकार यूनियन बजट में हेल्थकेयर सेक्टर के लिए बड़े ऐलान करती है तो इंडिया दुनिया में स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में नंबर वन बन सकता है। इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार को यूनियन बजट में हेल्थकेयर के लिए आवंटन बढ़ाने के साथ ही रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) पर होने वाले खर्च पर टैक्स-छूट देनी चाहिए।
इंडियन फार्मास्युटिकल्स अलायंस के सेक्रेटरी जनरल सुदर्शन जैन ने कहा कि नेशनल रिसर्च फंड (NRF) के कम से कम 10 फीसदी हिस्से का इस्तेमाल लाइफ साइंसेज के लिए होना चाहिए। साथ ही R&D एक्सपेंसेज पर फिर से 200 फीसदी वेटेड डिडक्शन की शुरुआत होनी चाहिए। मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की एग्जिक्यूटिव चेयरपर्सन और प्रमोटर अमीरा शाह ने डायगॉनास्टिक टेक्नोलॉजी में आरएंडडी पर इनसेंटिव बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इससे इंडिया हेल्थकेयर इनोवेशन के मामले में दुनिया में नंबर बन सकता है।
जीडीपी का 3 फीसदी हेल्थकेयर पर खर्च होना चाहिए
हेल्थकेयर इंडस्ट्री ने सरकार से बजट आवंटन बढ़ाने की मांग की है। यह इंडिया में हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है। पॉली मेडिकेयर के मैनेजिंग डायरेक्टर हिमांशु बैद ने कहा कि अगर सरकार हेल्थकेयर के लिए जीडीपी के 2.5-3 फीसदी का आवंटन करती है तो इससे इंडिया में हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाया जा सकता है। इससे इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा साथ ही देशभर में हेल्थकेयर की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
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मेडिकल डिवाइसेज पर 12 फीसदी से ज्यादा जीएसटी ठीक नहीं
उन्होंने कहा कि सरकार को हेल्थकेयर में इस्तेमाल होने वाले डिवाइसेज के लिए टैक्स स्ट्रक्चर आसाना बनाना चाहिए। सभी तरह के मेडिकल डिवाइसेज पर जीएसटी रेट 12 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इससे टैक्स के मामले में कंप्लायंस और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस बढ़ेगा। उधर, हॉस्पिटल कंपनियों का कहना है कि सरकार नए हॉस्पिटल्स के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर लिंक्ड इनसेंटिव का ऐलान करना चाहिए। डायगॉनिस्टिक कंपनियों का कहना है कि सरकार को 10,000 रुपये तक हेल्थ चेक-अप पर टैक्स छूट देनी चाहिए।