यूनियन बजट 2025 में एजुकेशन पर सरकार का फोकस होगा। एजुकेशन सेक्टर के एक्सपर्ट्स ने सरकार को एजुकेशन की क्वालिटी बढ़ाने के उपायों के अलावा कई सलाह दी हैं। बेहतर एजुकेशन सिस्टम की वजह से आज कई दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सीईओ की जिम्मेदारी इंडियन लोगों पर है। इनमें अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई और माइक्रोसॉफ्ट के सीईए सत्य नाडेला जैसे दिग्गज लोग शामिल हैं।
एजुकेशन इंफ्रा को बेहतर बनाने पर बढ़ाना होगा फोकस
एजुकेशन सेक्टर के जानकारों का कहना है कि सरकार को सबसे ज्यादा फोकस एजुकेशन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने पर करना होगा। खासकर उन इलाकों में एजुकेशन से जुड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर देना होगा, जहां इनकी कमी है। स्टेमरोबो टेक्नोलॉजीज के को-फाउंडर राजीव तिवारी और अनुराग गुप्ता ने कहा कि सरकार को स्कूलों में डिजिटल डिवाइसेज उपलब्ध कराने के साथ ही हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करानी होगी।
गांवों में डिजिटल इंफ्रा पर निवेश करना होगा
तिवारी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए बड़े उपाय करने होंगे। इसके लिए सरकार यूनियन बजट में आवंटन बढ़ा सकती है। अगर स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल टूल्स में निवेश बढ़ाया जाता है तो शिक्षा के मामले में शहरी और ग्रामीण के बीच फर्क कम होगा। सरकार को स्टूडेंट्स को AI, रोबोटिक्स और कोडिंग जैसी नई टैक्नोलॉजी की पढ़ाई की तरफ आकर्षित करने के लिए फंड का आवंटन बढ़ाना होगा।
विदेशी जाने वाले स्टूडेंट्स को मदद
एजुकेशन सेक्टर्स के एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले कुछ सालों में विदेश में पढ़ाई करने में इंडियन स्टूडेंट्स की दिलचस्पी बढ़ी है। इसके लिए सरकार को हायर एजुकेशन के लिए विदेश जाने वाले इंडियन स्टूडेंट्स को प्रोत्साहित करना होगा। डाल्टिन एआई पोर्टल के सीईओ दलजीत संधू ने कहा कि एजुकेशन के लिए विदेश पैसे भेजने पर TDS 20 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया जाना चाहिए। इससे विदेश में पढ़ाई करने वाले इंडियन स्टूडेंट्स के मातापिता पर वित्तीय बोझ घटेगा।
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ग्रामीण बच्चों के हायर एजुकेशन के सपने टूट जाते हैं
सरकार को ऐसे उपाय करने होंगे जिससे गांवों में रहने वाले और कम पैसे वाले लोग भी अमेरिकी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर सके। अभी सिर्फ अमीर लोगों के बच्चों के ही विदेश में पढ़ाई के लिए मौके उपलब्ध होते हैं। इससे टैलेंटेड होने का बाद भी गांव के बच्चों के लिए किसी तरह की मदद उपलब्ध नहीं होती है।