Budget 2025: मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स की जिंदगी होगी आसान, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को करने होंगे ये 4 ऐलान

पिछले कुछ सालों में महंगाई काफी बढ़ी है। इसका सीधा असर मिडिल क्लास के लोगों पर पड़ा है। उनकी खर्च करने की क्षमता कम हो गई है। अगर सरकार इनकम टैक्स में राहत देती है तो ऐसे लोगों की जिंदगी काफी आसान हो जाएगी

अपडेटेड Jan 14, 2025 पर 11:48 AM
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इस बार मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स को टैक्स में राहत मिलने की काफी ज्यादा उम्मीद है। उनका मानना है कि पिछले दो-तीन सालों में तेजी से बढ़ती महंगाई ने उनकी मुश्किल काफी बढ़ा दी है।

यूनियन बजट में सरकार की इनकम और खर्च का प्लान होता है। इसमें सरकार टैक्स के नियमों में भी बदलाव का ऐलान करती है। नई वेल्फेयर स्कीम का ऐलान करती है और पुरानी स्कीम का आवंटन बढ़ाती है। इसलिए यूनियन बजट में आम लोगों की दिलचस्पी होती है। उन्हें बजट में टैक्स का बोझ घटाने वाले ऐलान का इंतजार रहता है। इस बार मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स को टैक्स में राहत मिलने की काफी ज्यादा उम्मीद है। उनका मानना है कि पिछले दो-तीन सालों में तेजी से बढ़ती महंगाई ने उनकी मुश्किल काफी बढ़ा दी है। ऐसे में अगर सरकार यूनियन बजट में उनके लिए कुछ ऐलान करती है तो उन्हें काफी खुशी होगी।

1. HRA के आसान नियम

अभी एचआरए (HRA) क्लेम करने के नियम काफी जटिल हैं। जिनके पास अपना घर नहीं है, वे किराए के घर में रहते हैं। कई टैक्सपेयर्स की नौकरी ऐसी होती है, जिनमें ट्रांसफर होता रहता है। ऐसे लोगों को किसी शहर में अपना घर होने के बावजूद दूसरे शहर में किराए के घर में रहना पड़ता है। इनकम टैक्स का नियम कहता है कि अगर कोई व्यक्ति किराए के घर में रहता है तो वह सेक्शन 10(13ए) के तहत आंशिक या पूरा एग्जेम्प्शन क्लेम कर सकता है।

अभी एचआरए क्लेम करने के नियम काफी जटिल हैं। एंप्लॉयीज को मकान मालिक का पैन, रेंट एग्रीमेंट और किराए की रसीद देनी पड़ती है। अगर आप नौकरी करते हैं तो ये डॉक्युमेंट देने के बाद ही आपकी कंपनी का फाइनेंस डिपार्टमेंट आपका एचआरए क्लेम एप्रूव करता है। आम तौर पर मकान मालिक किराएदार को अपना पैन नंबर नहीं देना चाहते। किराए की रसीद देने में भी उनकी दिलचस्पी नहीं होती है। इससे किराएदार को एचआरए क्लेम करने में दिक्कत आती है। सरकार को एचआरए क्लेम करने के नियमों को आसान बनाने का ऐलान करना चाहिए।


2. हेल्थ पॉलिसी पर डिडक्शन

पिछले कुछ सालों में हेल्थ पॉलिसी का प्रीमियम काफी बढ़ा है। लेकिन, सरकार ने बीते कई सालों से हेल्थ पॉलिसी के प्रीमियम पर डिडक्शन नहीं बढ़ाया है। इस वजह से लोग हेल्थ पॉलिसी के प्रीमियम पर पूरा डिडक्शन क्लेम नहीं कर पा रहे हैं। इनकम टैक्स के सेक्शन 80डी के तहत 60 साल से कम उम्र के लोगों को हेल्थ पॉलिसी के प्रीमियम पर 25,000 रुपये डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत है। 60 साल और इससे ज्यादा उम्र के लोगों को 50,000 रुपये डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत है। सरकार को इसे बढ़ाकर क्रमश: 50,000 रुपये और 1,00,000 रुपये कर देना चाहिए।

3. इनकम टैक्स में राहत

सरकार ने पिछले कई सालों से इनकम टैक्स की एग्जेम्प्शन लिमिट में बदलाव नहीं किया है। इस बीच, महंगाई काफी बढ़ी है। इससे पैसे की वैल्यू काफी घट गई है। सरकार को इस बात को ध्यान में रखते हुए टैक्स एग्जेम्प्शन लिमिट बढ़ाने की जरूरत है। कम से कम 5 लाख रुपये की सालाना इनकम वाले लोगों को टैक्स चुकाने से छूट मिलनी चाहिए। इससे उन लोगों को काफी राहत मिलेगी, जिन्हें कम आमदनी के बावजूद टैक्स चुकाना पड़ता है।

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4. स्टैंडर्ड डिडक्शन में बदलाव

नौकरी करने वाले लोग टैक्स चुकाने में सबसे आगे रहते हैं। सरकार को ऐसे लोगों को राहत देने की जरूरत है। अगर सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाती है तो इससे नौकरी करने वाले लोगों को काफी राहत मिलेगी। इनकम टैक्स की नई रीजीम में 75,000 रुपये स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है। इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन 50,000 रुपये है। अगर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाने का ऐलान करती हैं तो इससे नौकरी करने वाले लोगों को काफी राहत मिलेगी।

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