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Budget expectations : बजट में रियल एस्टेट को बड़ा बूस्ट संभव,  GST में राहत मिलने की उम्मीद

Union Budget 2025 : रियल एस्टेट पर स्टाम्प ड्यूटी को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है। घर खरीदने की प्रक्रिया को अधिक किफायती बनाने के लिए 1.50 करोड़ रुपये तक के घरों के लिए राज्यों में स्टाम्प ड्यूटी दरों को मानकीकृत (Standardize) करना चाहिए। सेक्टर की मुश्किलें आसान करने के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस मिलना चाहिए

अपडेटेड Jan 31, 2025 पर 12:19 PM
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डेवलपर्स को ग्रीन बिल्डिंग इंसेंटिव्स देना चाहिए। पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ निर्माण टेक्नोलॉजी को अपनाने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स बेनिफिट का प्रावधान होना चाहिए

Budget 2025 : आने वाले बजट में रियल एस्टेट सेक्टर पर सरकार का खास फोकस रह सकता है। बजट में रियल एस्टेट को बड़ा बूस्ट संभव है। इस बजट में होम लोन पर टैक्स छूट 2 लाख रुपए से ज्यादा हो सकती है। सस्ते घर बनाने वाले डेवलपर्स को भी राहत की उम्मीद है। रियल्टी को GST में राहत मिलने की उम्मीद नजर आ रही है। बजट में स्टाम्प ड्यूटी रेट रेशनलाइज पर भी पहल की जा सकती है। प्रोजेक्ट्स को सिंगल विंडो क्लीयरेंस की मांग काफी समय से लंबित है। इस पर कोई ऐलान होने की उम्मीद है।

बजट 2025 से रियल एस्टेट सेक्टर की उम्मीदें

घर खरीदने की क्षमता बढ़ाने के लिए धारा 24(बी) के तहत होम लोन ब्याज कटौती 2 लाख रुपए से ज्यादा होनी चाहिए। किफायती घरों की बिक्री को बढ़ावा देने को लिए अधिक से अधिक डेवलपर्स को आकर्षित करने के लिए किफायती आवास परियोजनाओं के लिए सेक्शन 80-IBA के लाभों को मार्च 2029 तक बढ़ाया जाना चाहिए। जीएसटी दर का युक्तिसंगत बनाना चाहिए। डेवलपर्स के वित्तीय बोझ को कम करने और कंप्लायंस को सुव्यवस्थित करने के लिए जीएसटी दरों को सरल और कम करना चाहिए। रियल एस्टेट को इंडस्ट्री का दर्जा मिलना चाहिए। रियल एस्टेट को इंडस्ट्री का दर्जा मिलने पर सेक्टर को लोन मिलने में आसानी होगा। इससे सेक्टर की ऋण लागत घटेगी और निवेशकों का विश्वास भी बढ़ेगा।


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स्टाम्प ड्यूटी को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत 

रियल एस्टेट पर स्टाम्प ड्यूटी को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है। घर खरीदने की प्रक्रिया को अधिक किफायती बनाने के लिए 1.50 करोड़ रुपये तक के घरों के लिए राज्यों में स्टाम्प ड्यूटी दरों को मानकीकृत (Standardize) करना चाहिए। सेक्टर की मुश्किलें आसान करने के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस मिलना चाहिए। इससे प्रोजेक्टों की मंजूरी में तेजी आएगी। इसके साथ ही कारोबार में आसानी बढ़ाने के लिए हाई राइज प्रोजेक्ट्स,पर्यावरण आदि के लिए तेजी से अनुमोदन मिलेगा। डेवलपर्स को ग्रीन बिल्डिंग इंसेंटिव्स देना चाहिए। पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ निर्माण टेक्नोलॉजी को अपनाने वाले डेवलपर्स के लिए टैक्स बेनिफिट/सब्सिडी का प्रावधान होना चाहिए।

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