Union Budget : ग्रीन पोर्टफोलियो के को-फाउंडर और फंड मैनेजर दिवम शर्मा ने मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि ऐसा नहीं लगता कि केंद्रीय बजट 2025 में वित्त मंत्री वित्त वर्ष 2026 के लिए किसी बड़े और महत्वाकांक्षी विनिवेश योजना का प्रस्ताव रखेंगी। उनके मुताबिक अब सरकार बड़े पैमाने पर निजीकरण पर जोर देने के बजाय, अपना रुख बदल रही है। अब राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को बेचने के बजाय उन्हें भारी वित्तीय सहायता देकर मजबूत बनाने पर अधिक फोकस किया जा रहा है। अगले सप्ताह आने वाली आरबीआई की नीति पर दिवम शर्मा की राय है कि मौजूदा नकदी की स्थिति और ग्लोबल स्तर पर महंगाई में नरमी को देखते हुए ब्याज दरों में कटौती की संभावना बहुत ज्यादा है।
बाजार पर बात करते हुए दिवम ने कहा कि उन्हें केमिकल सेक्टर में निवेश अवसर दिखने लगे हैं। उनका मानना है कि यह सेक्टर अपने निचले स्तर पर पहुंच चुका है। इसलिए आने वाले सालों में यह अच्छा प्रदर्शन करने के लिए तैयार है। निवेश प्रबंधन का 15 साल से ज़्यादा का अनुभव रखने वाले दिवम का कहना है कि केमिकल स्टॉक में निवेश करने का यह सही समय है।
क्या आपको लगता है कि बाजार में फिर से मजबूत तेजी आने से पहले शायद 5% करेक्शन और होगा?
इसके जवाब में दिवम ने कहा कि हां,बाजारों में जो गिरावट का दबाव देखने को मिल रहा है वह जारी रह सकता है। बाजार में फिलहाल कोई दिशा नहीं नजर आ रही है। बैंकिंग से जुड़े आंकड़ों में कमजोरी,अमेरिका द्वारा रूसी तेल पर प्रतिबंध,भारत के प्रति ट्रंप के रवैये की अनिश्चितता बाजार को प्रभावित करने वाली शॉर्ट टर्म चुनौतियां हैं। चीन पर ट्रंप के टैरिफ और भारतीय निर्यातकों के प्रति उनके दृष्टिकोण पर स्पष्टता आने पर बाजारों में स्थिरता आएगी।
अगले तीन हफ्तों में केंद्रीय बजट सहित कई अहम इवेंट हैं। इस अवधि में बाजारों में 5-7 फीसदी करेक्शन की संभावना है। 2024 जुलाई के बजट की तुलना में एक कमजोर बजट बाजारों को झटका दे सकता है। रेलवे, इंफ्रा और डिफेंस के लिए कोई बड़ा एलान न होने से इन सेक्टरों से जुड़े शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। अगर सरकार एक मजबूत कर ढांचा और सरकारी और निजी सेक्टर में बेहतर तालमेल के साथ सामने आती है,तो बाजार में तेजी आ सकती है। हालांकि शॉर्ट टर्म में वोलैटिलिटी बने रहने की संभावना है। लेकिन एक बार ग्लोबल दबाव समाप्त होने के बाद बाजार तेजी से आगे बढ़ेगा।
क्या बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर में वैल्युएशन सही लग रहा है?
एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक जैसे कुछ बैंकों ने पहले ही अपने नतीजे घोषित कर दिए हैं। अनसिक्योर्ड रिटेल में ग्रोथ देखने को मिली है। माइक्रो-फाइनेंस कंपनियों के एनपीए और ओवर ड्यू लोन में तेज बढ़त की संभावना है। इसी तरह, क्रेडिट कार्ड जैसे अनसिक्योर्ट लोम में तिमाही-दर-तिमाही आधार पर बढ़त हो सकती है। इसके विपरीत,वाहन फाइनेंसिंग, हाउसिंग फाइनेंस, सिक्योर्ड रिटेल और मध्यम से बड़े कॉरपोरेट लोन जैसे सेक्टर में मजबूती देखने को मिल सकती है। इन बातों के ध्यान में रखते हुए इस सेक्टर पर होल्ड रेटिंग बरकरार है।
क्या वित्त मंत्री द्वारा वित्त वर्ष 2026 के लिए आक्रामक और बड़ी विनिवेश योजना पेश करने की संभावना है?
ऐसा लग रहा है कि भारत सरकार वित्त वर्ष 2026 के लिए कोई आक्रामक विनिवेश योजनाओं लेकर नहीं आ रही है। अब सरकार बड़े पैमाने पर निजीकरण पर जोर देने के बजाय, अपना रुख बदल रही है। अब राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को बेचने के बजाय उन्हें भारी वित्तीय सहायता देकर मजबूत बनाने पर अधिक फोकस किया जा रहा है। हम सभी जानते हैं कि सरकार हेलीकॉप्टर ऑपरेटर पवन हंस सहित दो सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियो के लिए बचाव पैकेज में लगभग 1.5 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना पर काम कर रही है। उनके निजीकरण के असफल प्रयासों के बाद ये कदम उठाया जा रहा है। इसके अलावा, विभिन्न मंत्रालयों के विरोध के कारण कम से कम 9 सरकारी कंपनियों के निजीकरण को रोक दिया गया है। यह बदलाव इस उम्मीद से प्रेरित लगता है कि सरकारी कंपनियों को पुनर्जीवित करने से वे फिर से मुनाफे में आ जाएंगी। यह सब देखते हुए, ऐसा लगता नहीं है कि वित्त मंत्री वित्त वर्ष 2026 के लिए एक आक्रामक और बड़ी विनिवेश योजना का ऐलान करेंगी।
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