यूनियन बजट 2025 से पहले मिडिल क्लास की उम्मीदें आसमान में हैं। उनका मानना है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इनकम टैक्स घटांएगी। खासकर 10-15 लाख रुपये सालाना इनकम वाले लोगों को वह राहत दे सकती हैं। लेकिन, टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि 1 फरवरी को सरकार के इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम में बदलाव करने की उम्मीद नहीं है। इसकी वजह यह है कि सरकार इनकम टैक्स की नई रीजीम का इस्तेमाल बढ़ाना चाहती है। इसलिए सरकार इनकम टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए नई रीजीम के लिए कुछ ऐलान कर सकती है। इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने वाले करीब 72 फीसदी इंडिविजुअल नई रीजीम का इस्तेमाल कर रहे हैं।
पिछले साल नई रीजीम के लिए दो बड़े ऐलान
Mainstay Tax Advisors के पार्टनर कुलदीप कुमार ने कहा कि पिछले साल जुलाई में पेश यूनियन बजट (Union Budget) में वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman ने इनकम टैक्स की नई रीजीम के लिए दो बड़े ऐलान किए थे। पहला, उन्होंने स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाई थी। दूसरा, उन्होंने टैक्स स्लैब में बदलाव किया था। इसका मकसद नई रीजीम का अट्रैक्शन बढ़ाना था। उन्होंने कहा कि इस बार भी उम्मीद है कि वित्तमंत्री नई रीजीम के टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए कुछ ऐलान करेंगी। इससे इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स पर टैक्स का बोझ घटेगा, जिससे उसके हाथ में खर्च के लिए ज्यादा पैसे बचेंगे।
ITR फालिंग प्रोसेस को आसान बनाया जाए
इनकम टैक्सपेयर्स बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट और स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा ज्यादातर टैक्सपेयर्स का मानना है कि सरकार को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग प्रोसेस को आसान बनाने की जरूरत है। इससे आईटीआर फाइल करने में लोगों को दिलचस्पी बढ़ेगी। अभी कई लोग सिर्फ इसलिए रिटर्न फाइल नहीं कर पाते हैं क्योंकि उन्हें इसकी प्रक्रिया काफी जटिल लगती है। टैक्स के जटिल नियमों को भी समझने में उन्हें दिक्कत आती है।
नई रीजीम में भी HRA के फायदें
कुछ टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस साल इनकम टैक्स एक्ट में बदलाव होने की संभावना कम लगती है। TaxAaram डॉट कॉम के फाउंडर डायरेक्टर मयंक मोहनका ने कहा कि सरकार नई रीजीम में बदलाव कर सकती है। अगर HRA एग्जेम्प्शन को इसमें शामिल कर दिया जाए तो यह और अट्रैक्टिव हो जाएगा। उनकी दलील है कि घर एक बुनियादी जरूरत है। अभी इनकम टैक्स की सिर्फ ओल्ड रीजीम में एचआरए एग्जेम्प्शन मिलता है।
अभी एक्चुअल एचआरए, बेसिक सैलरी का 50 फीसदी (नॉन-मेट्रो शहरों में 40 फीसदी) और एक्चुअल रेंट पेड माइनस बेसिक सैलरी का 10 फीसदी की शर्त में से जो सबेस कम होता है, वह लागू होता है। मोहनका ने कहा कि एचआरए एग्जेम्प्शन क्लेम करने से टैक्सपेयर्स का टैक्स घट जाता है। इस वजह से कई लोग चाहकर भी नई रीजीम का इस्तेमाल नहीं करना चाहते। अगर सरकार नई रीजीम में भी एचआरए का फायदा देती है तो इसमें (नई रीजीम) टैक्सपेयर्स की दिलचस्पी बढ़ेगी।
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स्टैंडर्ड डिडक्शन कम से कम 1 लाख करने की जरूरत
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले कुछ सालों में जिस तरह महंगाई खासकर खानेपीने की चीजों की कीमतें बढ़ी है, उसे देखते हुए सरकार को स्टैंडर्ड डिडक्शन में इजाफा करना चाहिए। Tax2Win के को-फाउंडर अभिषेक सोनी ने कहा कि सरकार ने पिछले साल नई रीजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया था। लेकिन, यह काफी कम है। सरकार को इसे बढ़ाकर कम से कम 1 लाख रुपे करना चाहिए। इससे नौकरी करने वाले खासकर ऐसे लोगों को काफी राहत मिलेगी, जिनकी सालाना कमाई 10-15 लाख रुपये तक है।