अगले साल 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट पर टैक्सपेयर्स की करीबी नजरें लगी हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि उन्हें डायरेक्ट टैक्स कोड खासकर इनकम टैक्स के नियमों में बदलाव की उम्मीद है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल यूनियन बजट पेश करने के दौरान कहा था कि सरकार डायरेक्ट टैक्स कोड को रिव्यू करेगी। सरकार ने डायरेक्ट टैक्स कोड्स के रिव्यू के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति भी गठित कर दी थी। इस समिति ने सरकार को कुछ रिपोर्ट्स सौंप दी है। बाकी बची रिपोर्ट्स भी समिति के जल्द सौप देने की उम्मीद है।
सरकार ने डायरेक्ट टैक्स कोड्स को रिव्यू करने का वादा किया था
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 23 जुलाई को यूनियन बजट (Union Budget) पेश करने के दौरान कहा था कि सरकार मौजूदा डायरेक्ट टैक्स कोड्स की जगह संक्षिप्त, आसान और समझ में आने वाले कानून चाहती है। इससे इनकम टैक्स से जुड़े विवाद के मामलों में कमी आएगी। इससे टैक्सपेयर्स को किसी तरह की उलझन का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने डायरेक्ट टैक्स कोड के रिव्यू का काम छह महीने में पूरा हो जाने की उम्मीद जताई थी। दरअसल, डायरेक्ट टैक्स कोड्स खासकर इनकम टैक्स के मौजूदा नियम और कानून दशकों पुराने हैं। बदलते समय के साथ इनमें बदलाव की जरूरत है।
इनकम टैक्स के लिहाज से रेजिडेंट की अलग-अलग कैटेगरी
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी टैक्स के लिहाज से देश के लोगों को कई कैटेगरी में बांटा गया है। इनमें रेजिडेंट, रेजिडेंट लेकिन ऑर्डिनरी नहीं और नॉन-रेजिडेंट्स शामिल हैं। इससे टैक्सपेयर्स को काफी उलझन होती है। खासकर टैक्स के दायरे में आने वाले नए टैक्सपेयर्स को इससे काफी कनफ्यूजन होता है। सरकार अगर सिर्फ एक या दो कैटेगरी रखती है तो इससे टैक्सपेयर्स को कम उलझन होगी। कई टैक्सपेयर्स सिर्फ इसलिए टैक्स चुकाने में दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं क्योंकि टैक्स के नियम समझ में नहीं आते हैं।
फाइनेंशियल और एसेसमेंट को लेकर कनफ्यूजन
अभी इंडिया में इनकम टैक्स के मामलों में फाइनेंशियल ईयर और एसेसमेंट ईयर के बीच फर्क है। इससे टैक्सपेयर्स को काफी कन्फ्यूजन होता है। कई टैक्सपेयर्स को दोनों के बीच के फर्क को समझने में दिक्कत आती है। नए डायरेक्ट कोड्स में सरकार इस कनफ्यूजन को दूकर करने की कोशिश कर सकती है। इससे आम आदमी की दिलचस्पी टैक्स चुकाने में बढ़ेगी। इससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा। देश में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी।
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कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों को आसान बनाने की जरूरत
सरकार ने बजट 2024 में कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बदलाव किया था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कैपिटल गेंस टैक्स के नियम पहले के मुकाबले आसान हुए हैं। लेकिन, इन्हें और आसान बनाने की गुंजाइस है। उम्मीद है कि नए डारेक्ट टैक्स कोड में सरकार कैपिटल गैंस टैक्स के नियमों को आसान बनाएगी। अलग-अलग एसेट्स के लिए कैपिटल गेंस टैक्स के अलग-अलग नियम नहीं होंगे।