वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस जुलाई में पेश यूनियन बजट में इनकम टैक्स के मामले में कुछ बड़े ऐलान किए थे। नई रीजीम में टैक्स एग्जेम्प्शन लिमिट बढ़ाई थी। नई रीजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन भी बढ़ाया था। इसका मकसद टैक्सपेयर्स के हाथ में ज्यादा पैसे छोड़ना था। इसके छह महीने बाद मिडिकल क्लास और लोअर मिडिल क्लास के खर्च का पैटर्न यह बताता है कि वे जरूरी चीजों पर पहले के मुकाबले कम खर्च कर रहे हैं। एफएमसीजी कंपनी गोदरेज कंज्यूमर की रिपोर्ट बताती है कि मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास पर दबाव लगातार बना हुआ है। वित्तमंत्री निर्मला सीतामरण को यूनियन बजट 2025 में इस पर ध्यान देना होगा। वित्तमंत्री 1 फरवरी, 2025 को यूनियन बजट 2025 पेश करेंगी।
जुलाई 2024 के बजट में मिली थी कुछ राहत
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 23 जुलाई को यूनियन बजट (Union Budget) पेश किया था। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद इस बजट में उन्होंने टैक्स के मोर्चे पर दो बड़े ऐलान किए थे। इनकम टैक्स की नई रीजीम में टैक्स एग्जेम्प्शन लिमिट बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी थी। साथ ही स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दी थी। पहले यह सालाना 50,000 रुपये थी। इस बीच खानेपीने की चीजों की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। फूड इनफ्लेशन के डेटा से इसकी पुष्टि होती है।
मिडिल क्लास पर लगातार बना हुआ है दबाव
सवाल है कि खानेपीने की चीजों की तेजी से बढ़ती कीमतों को देखते हुए क्या वित्तमंत्री मिडिल क्लास को राहत देंगी? क्या यह 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास को राहत देने के लिए बड़े ऐलान करेंगी? ये सवाल इसलिए काफी अहम हैं, क्योंकि इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में आई तेजी गिरावट की बड़ी वजह कम कंजम्प्शन को बताया जा रहा है। इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि महंगाई की वजह से मिडिल क्लास खानेपीने सहित दूसरी चीजों पर कम खर्च कर रहा है।
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कीमतों में आगे भी तेजी जारी रहने के आसार
आरबीआई के नए हाउसहोल्ड सर्वे के नतीजों से पता चलता है कि कंज्यूमर्स को आगे भी कीमतों में इजाफा जारी रहने की उम्मीद है। मिडिल क्लास पर खानेपीने और दूसरी जरूरी घरेलू चीजों की कीमतें बढ़ने से दबाव बना हुआ है। यह सर्वे 2 से 11 नवंबर के बीच किया गया था। सितंबर में हुए सर्वे के मुकाबले स्थिति थोड़ी खराब हुई है। 9 दिसंबर को Godrej Consumer के शेयरों में तब 10 फीसदी की तेज गिरावट आई थी, जब कंपनी ने कमजोर डिमांड का असर अपने तिमाही नतीजों पर पड़ने की आशंका जताई थी।