Union Budget 2025: टैक्स सिस्टम में छोटे बदलावों से लोगों को मिल जाएगी बड़ी राहत, जानिए कैसे

150 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले भारत में सिर्फ 8 करोड़ इनकम टैक्स रिटर्म फाइल किए जाते हैं। इसमें से सिर्फ 4 करोड़ लोग टैक्स चुकाते हैं। इनमें नौकरी करने वाले लोगों की संख्या 50 फीसदी से थोड़ी कम है। इसका मतलब है कि देश में टैक्स चुकाने में नौकरीपेश वर्ग सबसे आगे है

अपडेटेड Jan 27, 2025 पर 6:28 PM
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नौकरी करने वाले लोगों पर टैक्स का बोझ घटाने से उनके हाथ में खर्च के लिए ज्यादा पैसे बचेंगे।

इंडिया में 6 फीसदी आबादी इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करती है। 3 फीसदी से कम आबादी इनकम टैक्स चुकाती है। जो लोग टैक्स देते हैं, उनमें नौकरी करने वाले लोग ज्यादा हैं। एक अनुमान के मुताबिक, कुल इनकम टैक्स कलेक्शन में नौकरी करने वाले लोगों की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है। इससे पता चलता है कि टैक्स रिफॉर्म कितना जरूरी है। टैक्स सिस्टम ऐसा होना चाहिए जिसमें टैक्स का बोझ सिर्फ नौकरी करने वाले लोगों पर नहीं होना चाहिए बल्कि इसमें इनकम वाले सभी लोग शामिल होने चाहिए।

काफी जटिल है इनकम टैक्स सिस्टम

नौकरी करने वाले लोगों पर टैक्स का बोझ घटाने से उनके हाथ में खर्च के लिए ज्यादा पैसे बचेंगे। इससे कंजम्प्शन और इनवेस्टमेंट दोनों बढ़ेंगे। इससे इकोनॉमी में लिक्विडिटी बढ़ेगी और डिमांड को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही उन लोगों को टैक्स के दायरे में लाने के लिए गंभीर कोशिश होनी चाहिए, जो अच्छी इनकम के बावजूद टैक्स नहीं चुकाते हैं। इंडिया के इनकम टैक्स सिस्टम में कई स्लैब हैं और कई तरह के डिडक्शन मिलते हैं। इससे टैक्सपेयर्स और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के लिए पूरा सिस्टम काफी जटिल हो जाता है।


इस बदलाव से बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स को मिलेगी राहत

इनकम टैक्स फाइल करने वाले नौकरी करने वाले लोगों में ऐसे लोग 88 फीसदी हैं, जिनकी सालाना इनकम 15 लाख रुपये से कम है। कुल टैक्स कलेक्शन में इनकी हिस्सेदारी सिर्फ 20 फीसदी है। इसका मतलब है कि अगर इस सेगमेंट को टैक्स में राहत दी जाए तो इससे बड़ी संख्या में लोगों को फायदा होगा, जबकि सरकार के टैक्स कलेक्शन पर इसका काफी कम असर, पड़ेगा। टैक्स कलेक्शन में ऐसे लोगों का योगदाना 44 फीसदी है, जिनकी इनकम 15 लाख से 50 लाख रुपये के बीच है। इसका मतलब है कि अगर इस सेगमेंट को टैक्स में राहत दी जाती है तो इससे लोगों की खर्च करने वाली आय बढ़ेगी। इससे डिमांड और सेविंग्स भी बढ़ेगी।

उपर्युक्त डेटा को ध्यान में रख सरकार आम लोगों को राहत देने के लिए निम्नलिखित ऐलान कर सकती है:

1. सालाना 15 लाख रुपये तक की इनकम वाले नौकरी करने वाले लोगों पर टैक्स नहीं लगना चाहिए।

2. सालाना 15-20 लाख रुपये इनकम वाले नौकरी करने वाले लोगों पर टैक्स का एक समान 25 फीसदी रेट होना चाहिए।

3. सालाना 50 लाख रुपये से ज्यादा सैलरी वाले नौकरी करने वाले लोगों पर 30 फीसदी टैक्स लगना चाहिए।

4. सभी तरह के डिडक्शंस, सरचार्ज और सेस खत्म होने चाहिए।

5. कैपिटल गेंस टैक्स, डिविडेंड टैक्स और बिजनेस इनकम टैक्स के रेट्स में बदलाव नहीं होने चाहिए।

ऐसे मिलेगी राहत

हमारा मानना है कि उपर्युक्त कदम उठाने से नौकरी करने वाले लोगों के हाथ में करीब 2.4 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त आएंगे। इससे हर सैलरीड इंडिविजुअल की औसत टैक्स सेविंग्स करीब 1,00,000 रुपये होगी। हालांकि, यह GDP का सिर्फ 0.75 फीसदी है, लेकिन इसके आर्थिक लाभ इसके फिस्कल इम्पैक्ट के मुकाबले काफी ज्यादा होंगे।

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छोटे बदलाव का बड़ा फायदा

इसका मतलब है कि इनकम टैक्स रीजीम को आसान बनाने से काफी फायदा हो सकता है। इस आसान रीजीम में 15 लाख रुपये तक की इनकम वाले नौकरी पेशा वर्ग पर टैक्स नहीं लगना चाहिए। 15 से 50 लाख सैलरी वाले नौकरी पेशा वर्ग पर 25 फीसदी टैक्स लगना चाहिए। 50 लाख से ज्यादा सैलरी वाले नौकरी पेशा वर्ग पर 30 फीसदी टैक्स होना चाहिए। इससे सरकार को रेवेन्यू में जीडीपी के 6 फीसदी तक लॉस होगा। लेकिन, इससे लंबी अवधि में काफी फायदा होगा।

MoneyControl News

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First Published: Jan 27, 2025 6:20 PM

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