यूनियन बजट 2026 पेश होने में दो महीने से कम का समय बचा है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2026 को यूनियन बजट 2026 पेश कर सकती हैं। इस बजट से इंश्योरेंस सेक्टर को काफी उम्मीदें हैं। आबादी का बड़ा हिस्सा अब भी इंश्योरेंस के दायरे से बाहर है। सरकार ज्यादा लोगों को इंश्योरेंस के दायरे में लाने के लिए बड़ा कदम उठा सकती है। इसके लिए इंश्योरेंस को सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर माना जा सकता है। इससे आम लोगों, बिजनेसेज और पब्लिक इनवेस्टमेंट को सुरक्षा मिलेगी। इसके लिए सरकार इंश्योरेंस में निम्नलिखित 5 रिफॉर्म्स कर सकती है।
एमएसएमई के लिए प्रोटेक्शन स्कीम
देश की इकोनॉमी में एमएसएमई का बड़ा योगदान है। मिनिस्ट्री ऑफ एमएसएमई और नीति आयोग के मुताबिक, MSME का देश की जीडीपी में 29-30 फीसदी, मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट में 36 फीसदी और एक्सपोर्ट्स में 45 फीसदी योगदान है। एमएसएमई सेक्टर में 12 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है। लेकिन, उन्हें क्लाइमेट से जुड़े बड़े रिस्क का सामना करना पड़ता है। सरकार एमएसएमई के इस रिस्क को घटाने के लिए नेशनल एमएसएमई प्रोटेक्शन स्कीम की शुरुआत कर सकती है। इसका फायदा उद्यम पोर्टल पर रजिस्टर्ड 3.8 करोड़ एमएसएमई को मिलेगा।
वर्कर्स को हेल्थ प्रोटेक्शन का राइट्स मिलना चाहिए। इसके लिए ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर के लिए एंप्लॉयर-एंप्लॉयी हेल्थ इंश्योरेंस फ्रेमवर्क को अनिवार्य बनाया जा सकता है। फुल-टाइम वर्कर्स, कॉन्ट्रैक्चुअल वर्कर्स और गिग वर्कर्स को इसके दायरे में शामिल किया जा सकता है। इससे मेडिकल इमर्जेंसी की स्थिति में वर्कर्स के परिवारों को काफी मदद मिलेगी। इससे 2047 तक सभी के लिए इंश्योरेंस के सरकार के विजन को हासिल करने में भी आसानी होगी।
थर्ड पार्टी क्लेम्स का जल्द सेटलमेंट
मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट (MoRTH) की 2023 कि रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2023 में 4.81 लाख एक्सीडेंट्स हुए। इनमें 1.73 लाख लोगों की जान गई। इनमें 18-45 साल के लोगों की संख्या दो-तिहाई थी। अभी मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्राइब्यूनल्स (MACT) में क्लेम के सेटलमेंट में काफी देर होती है। इसके लिए सरकार एपेलेट फास्ट ट्रैक मोटर थर्ड-पार्टी क्लेम्स सेटलमेंट फ्रेमवर्क बना सकती है। इससे बड़ी संख्या में हर साल हादसे के शिकार होने वाले लोगों को मदद मिलेगी।
कमीशन और एक्सपेंसेज में पारदर्शिता
पॉलिसीहोल्डर इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते वक्त ज्यादातर टोटल प्रीमियम और बेसिक पॉलिसी कवरेज को देखते हैं। उन्हें यह पता नहीं होता कि उनके प्रीमियम का कितना हिस्सा रिस्क पूल, कमीशन या ऑपरेटिंग एक्सपेंसेज के लिए इस्तेमाल होता है। सरकार रिटेल हेल्थ और मोटर पॉलिसीज के लिए यूनिफायड कमीशन एंड एक्सपेंस डिसक्लोजर फ्रेमवर्क बना सकती है।
यूनिफायड पब्लिक इंश्योरेंस रजिस्ट्री
सरकार यूनिफायड पब्लिक इंश्योरेंस रजिस्ट्री (UPIR) की शुरुआत कर सकती है। इसके लिए इंश्योरेंस इंफॉर्मेशन ब्यूरो को एक वैधानिक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में अपग्रेड किया जा सकता है। इससे इंश्योरेंस से जुड़े हर पक्ष को सही जानकारी मिल सकेगी। इंश्योरेंस कंपनियां, इंटरमीडियरीज, गैरेजेज, हॉस्पिटल्स और दूसरे पार्टनर्स के लिए एक सिंगल वेरिफायड रिपॉजिटरी उपलब्ध हो जाएगा।
(लेखक बजाज जनरल इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ हैं। यहां व्यक्त विचार लेखक के अपने विचार हैं। इसका इस पब्लिकेशन से कोई संबंध नहीं है।)