Union Budget FY2025: ईमानदार टैक्सपेयर्स को मिलना चाहिए इनाम, निर्मला सीतारमण कर सकती हैं ये ऐलान
सरकार उन टैक्सपेयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठा सकती है, जो ईमानदारी से इनकम टैक्स के नियमों का पालन करते हैं। इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम में 10 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर 30 फीसदी का टैक्स 20212 से लागू है। इस बीच, इनफ्लेशन के असर को देखा जाए तो तब 10 लाख रुपये की वैल्यू आज बढ़कर करीब 21 लाख रुपये हो गई है। इसलिए इस स्लैब में बदलाव करने की जरूरत है
सरकार नई रीजीम में बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर सकती है।
यूनियन बजट 2025 नजदीक आने के साथ ही पर्सनल इनक टैक्स के नियमों में बदलाव की उम्मीद बढ़ गई है। इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स की संख्या 7.5 करोड़ से ज्यादा हो गई है। सरकार के रेवेन्यू में इनकम टैक्स टैक्स की हिस्सेदारी बढ़ी है। इसके बावजूद इंडिविजुअल इनकम टैक्सपेयर्स को अनदेखा किया गया है। इनकम टैक्स के नियमों का पालन करने वाले सभी कैटेगरी के टैक्सपेयर्स को उसका ईनाम काफी समय से नहीं मिला है।
2012 से सालाना 10 लाख रुपये की इनकम पर 30 फीसदी टैक्स का स्लैब बना हुआ है। अगर इनफ्लेशन के असर को देखा जाए तो आज यह इनकम 21.3 लाख रुपये होनी चाहिए। यह फर्क बताता है कि टैक्स पॉलिसी और आर्थिक हकीकत के बीच कितना बड़ा फर्क है। करीब 60 फीसदी टैक्सपेयर्स सेविंग्स के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन, 2014 से इस सेक्शन की 1.5 लाख रुपये की लिमिट नहीं बढ़ाई गई है।
FY2024 में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 1.84 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया है। ज्यादातर डॉक्टर्स मेट्रो शहरों में हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। 2024 में देश की आबादी के सिर्फ 30 हिस्से के पास हेल्थ पॉलिसी की सुविधा थी। इससे पता चलता है कि लोगों को हेल्थ पॉलिसी लेने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है, क्योंकि इलाज पर आने वाला खर्च लगातार बढ़ रहा है।
उपर्युक्त आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार को इनकम टैक्स और पर्सनल फाइनेंस की पॉलिसी में कितना ज्यादा बदलाव करने की जरूरत है। इससे लोगों को अपनी वेल्थ बढ़ाने में मदद मिलेगी। उम्मीद है कि सरकार 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में पर्सनल फाइनेंस के मामले में निम्नलिखित कदम उठा सकती है:
इनकम टैक्स के रिफॉर्म्स
1. नई टैक्स रीजीम में बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जा सकती है।
2. ओल्ड रीजीम में सालाना 10 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर 30 फीसदी टैक्स स्लैब में बदलाव करने की जरूरत है। 6 फीसदी इनफ्लेशन रेट को ध्यान में रख इसे बढ़ाकर 21.3 फीसदी किया जा सकता है।
3. इनकम टैक्स की नई रीजीम में सालाना 15 लाख रुपये के स्लैब को बढ़ाकर 20.1 लाख रुपये किया जा सकता है।
4. इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम में सेक्शन 80सी की लिमिट को 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये करने की जरूरत है।
5. ओल्ड रीजीम में सेक्शन 80डी के तहत के तहत हेल्थ पॉलिसी पर मिलने वाले डिडक्शन को 25,000 से बढ़ाकर 50,000 किया जाए। सीनियर सिटीजंस के लिए डिडक्शन को बढ़ाकर 70,000 रुपये किया जाए।
अगर सरकार सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये करती है तो इससे टैक्सपेयर्स ELSS, PPF और एनपीएस में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इससे लोगों को अपना पैसा बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे वे लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएट कर सकेंगे, जिससे उनकी फाइनेंशियल सिक्योरिटी बढ़ेगी।
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सेविंग्स और इनवेस्टमेंट के लिए प्रोत्साहन
1. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस से एनुअल एग्जेम्प्शन लिमिट को 1.25 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया जाए।
2.LTCG टैक्स को 12.5 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया जाए।
3. इक्विटी म्यूचुअल फंड पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस पर 15 फीसदी टैक्स का रेट बहाल किया जाए।
4. आम लोगों और सीनियर सिटीजंस के लिए सेक्शन 80TTA के तहत बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट के इंटरेस्ट पर एग्जेम्प्शन को 10,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये किया जाए। सेक्शन 80TTB के तहत एग्जेम्प्शन 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये किया जाए।
5. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24बी के तहत होम लोन के इंटरेस्ट पर मिलने वाले सालाना 2 लाख रुपये के डिडक्शन को बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जाए।
लेफ्टिनेंट रोचक बख्शी (रिटायर्ड)
(लेखक ट्रू नॉर्थ फाइनेंस के फाउंडर हैं। यह इनवेस्टमेंट और फाइनेंशियल प्लानिंग फर्म है)