Parliament: आज से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों का पहला बैच संसद के पटल पर रखा, जिसके माध्यम से लगभग ₹41,500 करोड़ के शुद्ध नकद खर्च के लिए अनुमोदन मांगा गया है। यह राशि सकल अतिरिक्त व्यय ₹1.32 लाख करोड़ का हिस्सा है। हालांकि, ₹90,812 करोड़ की बड़ी राशि मंत्रालयों की आंतरिक बचत या उच्च राजस्व प्राप्तियों से एडजस्ट की जाएगी, जिसके बाद शेष ₹41,455 करोड़ के लिए नई संसदीय मंजूरी आवश्यक है। इन मांगों में कुल 72 अनुदान और एक विनियोग शामिल है, जो विभिन्न मंत्रालयों की तत्काल खर्च आवश्यकताओं के लिए है।
सब्सिडी में खर्च होगा बड़ा हिस्सा
इस एक्सट्रा खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा सब्सिडी को पूरा करने के लिए आवंटित किया गया है। सरकार ने अकेले उर्वरक सब्सिडी के लिए ₹18,525 करोड़ (जिसमें यूरिया आयात के लिए ₹7,525 करोड़ शामिल हैं) की अतिरिक्त राशि का प्रस्ताव किया है, जो देश में उच्च पोषक तत्व समर्थन की मांग को रेखांकित करता है। इसके अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों को LPG बिक्री पर हुए नुकसान की भरपाई के लिए भी ₹9,473 करोड़ की राशि आवंटित की गई है। अन्य प्रमुख आवंटन में केंद्रीय शासित प्रदेशों के लिए ₹2,500 करोड़, गृह मंत्रालय के लिए ₹2,298 करोड़ और उच्च शिक्षा के लिए ₹1,303 करोड़ शामिल हैं।
इन अनुपूरक मांगों को पेश करने का उद्देश्य चालू वित्तीय वर्ष में बढ़ी हुई खर्च आवश्यकताओं को पूरा करना है। वैश्विक बाजार की कीमतों में उतार-चढ़ाव और जनकल्याण योजनाओं के बढ़ते दायरे को देखते हुए सरकार ने ये कदम उठाए है। ₹41,455 करोड़ के इस शुद्ध नकद आउटगो को मंज़ूरी मिलते ही यह राशि सरकारी खजाने से सीधे जारी की जा सकेगी। सरकार ने 'न्यू सर्विस' के मामलों में बचत के पुनर्विनियोजन को सक्षम करने के लिए ₹129 लाख का टोकन प्रावधान भी मांगा है, जो एडजस्टेबल वित्तीय प्रबंधन को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।