Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राज्य की राजनीति में उथल-पुथल बढ़ गई है। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने विधायकों और सीटों को लेकर सतर्क हैं। इसी कड़ी में सत्ता पक्ष NDA को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, जनता दल यूनाइटेड (JDU) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कई नेताओं ने पार्टी को छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का दामन थाम लिया है। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
मंगलवार (2 सितंबर) को पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में JDU किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव डॉ. अभिषेक मिश्रा, बीजेपी नेता रामकेवल गुप्ता और हरिनंदन ठाकुर ने आरजेडी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इन लोगों को राजद के प्रदेश प्रधान महासचिव रणविजय साहू ने पार्टी की सदस्यता दिलाई है। इस मौके पर प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद और प्रदेश महासचिव डॉ. प्रेम कुमार गुप्ता भी मौजूद रहे।
RJD नेताओं का कहना है कि पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की नेतृत्व शैली और रोजगार-आधारित राजनीति को बिहार की जनता लगातार समर्थन दे रहे हैं। वहीं, रणविजय साहू ने कहा कि तेजस्वी यादव ने विकास, नौकरी और रोजगार जैसे मुद्दों को उठाकर बिहार में सकारात्मक राजनीति की शुरुआत की है।
उन्होंने कहा कि उनके रोडमैप ने बिहार में बैर की राजनीति को कमजोर किया है और जनता बदलाव चाहती है। इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि यही कारण है कि दूसरे दलों से लगातार नेता RJD की ओर आकर्षित हो रहे हैं। RJD का दावा है कि यह आने वाले चुनाव में पार्टी के लिए निर्णायक साबित होगी।
वहीं, दूसरी ओर JDU में सीट के लिए खींचातानी जारी है। इसी कड़ी में JDU के अंदर मोकामा सीट को लेकर लगातार बयानबाजी हो रही है। JDU प्रवक्ता धीरज कुमार अनंत सिंह और ललन सिंह पर लगातार हमलावर हैं। उन्होंने अनंत सिंह को समाज के लिए कलंक तक कह दिया। उनके इस बयान से JDU के भीतर खींचातानी और खुलकर सामने आ गई है, जिससे मोकामा सीट पर विवाद और गहरा होता दिखाई दे रहा है।
सत्ताधारी खेमे से कई नेताओं के आरजेडी में शामिल होने पर राजनीतिक पंडितों का मानना है कि विपक्षी दलों की एकजुटता और NDA के भीतर असंतोष की आवाजें आने वाले चुनावी नतीजों पर सीधा असर डाल सकती हैं। बिहार की राजनीति में इस तरह का पलायन साफ संकेत देता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच मुकाबला बेहद कड़ा होने वाला है।