Bihar Elections 2025: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 सितंबर) को बिहार में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के लिए और समय देने से इनकार कर दिया। साथ ही इस प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के बीच बढ़ते अविश्वास की ओर भी इशारा किया। यह आदेश भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा यह दलील दिए जाने के बाद आया है कि वोटर लिस्ट तैयार होने के बाद और नामांकन दाखिल होने तक दावे और आपत्तियां दायर की जा सकती हैं। बिहार में मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की मांग को लेकर आवेदन दायर करने के लिए निर्धारित एक महीने की अवधि सोमवार 1 सितंबर को खत्म हो रही है।
राज्य में अब तक दो लाख से अधिक लोगों ने वोटर लिस्ट से नाम हटाने और 33,000 से ज्यादा लोगों ने लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए आवेदन दायर किया है। दो लाख से अधिक लोगों ने यह दावा करते हुए अपना नाम हटाने की मांग की है कि उन्हें गलत तरीके से मतदाता सूची में शामिल किया गया। बिहार में वोटर लिस्ट SIR के बाद मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त को प्रकाशित की गई थी। आम लोगों और राजनीतिक दलों को दावे और आपत्तियों के लिए एक सितंबर तक का समय दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार लीगल सर्विस अथॉरिटी को निर्देश दिया कि वह दावे, आपत्तियां दाखिल करने में मतदाताओं, राजनीतिक दलों की सहायता के लिए पैरा लीगल वॉलेंटियर को तैनात करे। सुप्रीम कोर्ट ने पैरा लीगल वॉलेंटियर से जिला जजों के समक्ष गोपनीय रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है, जिस पर आठ सितंबर को विचार किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि बिहार एसआईआर प्रक्रिया पर भ्रम काफी हद तक विश्वास का मुद्दा है। उसने राजनीतिक दलों से खुद को सक्रिय करने को कहा।
चुनाव आयोग ने शीर्ष अदालत को बताया कि राजनीतिक दलों द्वारा दायर किए गए अधिकतर दावे और आपत्तियां मसौदा मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए हैं। शामिल करने के लिए नहीं। ECI ने कहा कि नामांकन की अंतिम तिथि तक दावे, आपत्तियां, सुधार दाखिल किए जा सकते हैं।
चुनाव आयोग ने कहा कि दावे और आपत्तियां दाखिल करना एक सितंबर के बाद भी जारी रहेगा, लेकिन मतदाता सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इन पर विचार किया जाएगा। आयोग ने कहा कि दावे, आपत्तियां दर्ज करने की एक सितंबर की समय सीमा में कोई भी विस्तार एसआईआर प्रक्रिया और मतदाता सूची को अंतिम रूप देने में बाधा उत्पन्न करेगा।
जिन मतदाताओं के दस्तावेज अधूरे हैं, उन्हें सात दिन के भीतर नोटिस जारी करना एक सतत प्रक्रिया है। आयोग ने आगे कहा कि RJD का 36 दावे दायर करने का दावा गलत है, केवल 10 दावे दायर किए गए। बिहार में मसौदा मतदाता सूची में कुल 2.74 करोड़ मतदाताओं में से 99.5 प्रतिशत ने अब तक पात्रता दस्तावेज दाखिल कर दिए हैं।