Bihar Election 2025: क्या बिहार में इस बार BJP का होगा मुख्यमंत्री? चुनाव से पहले सर्वे ने बढ़ाई नीतीश कुमार की टेंशन
Bihar Election 2025: राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मंत्रिपरिषद विस्तार में जातिगत समीकरण के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के जनाधार वाले क्षेत्रों पर भी खासा ध्यान दिया गया है। कैबिनेट विस्तार से एक दिन पहले ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पटना में बीजेपी के कोर ग्रुप के नेताओं के साथ अहम बैठक की थी
Bihar Election 2025: नीतीश कुमार ने 26 फरवरी को बीजेपी के सात मंत्रियों को बिहार कैबिनेट में शामिल किया
Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कैबिनेट विस्तार ने सत्तारूढ़ NDA गठबंधन के भीतर सत्ता के पुनर्गठन का संकेत दिया है। नीतीश कुमार की सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तरफ से चुनाव से पहले बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए एक सुनियोजित कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 26 फरवरी को अपनी मंत्रिपरिषद में सात नए चेहरों को शामिल किया। ये सभी गठबंधन सहयोगी बीजेपी से हैं। यह कदम चुनावी मौसम से पहले बीजेपी की बढ़ती मुखरता को दर्शाता है।
कैबिनेट विस्तार के साथ ही मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या बढ़कर 36 हो गई है। बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीट हैं। नियमों के अनुसार सदन की कुल सीटों का 15 प्रतिशत ही मंत्री हो सकते हैं। इस लिहाज से राज्य मंत्रिपरिषद में अधिकतम 36 मंत्री ही हो सकते हैं। इस मंत्रिमंडल विस्तार को बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले समाज के सभी वर्ग को मंत्रिपरिषद में प्रतिनिधित्व दिए जाने के एक प्रयास के रूप देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मंत्रिपरिषद विस्तार में जातिगत समीकरण के साथ ही बीजेपी के जनाधार वाले क्षेत्रों पर भी खासा ध्यान दिया गया है। कैबिनेट विस्तार से एक दिन पहले ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पटना में भारतीय जनता पार्टी के कोर ग्रुप के नेताओं के साथ अहम बैठक की थी। बीजेपी के पास अब 21 मंत्री पद हैं, जो नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) से काफी बड़ा अंतर है। बिहार सरकार में फिलहाल, JDU कोटे से सिर्फ 13 मंत्री हैं।
सर्वे ने नीतीश कुमार की बढ़ाई टेंशन!
इस बीच, एक सर्वे में दावा किया गया है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव अगर आज होते हैं तो जनता दल यूनाइटेड के सुप्रीमो नीतीश कुमार अब बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर वापसी के लिए लोगों की पहली पसंद नहीं हैं। 'इंडिया टुडे टीवी' पर प्रसारित सी-वोटर की तरफ से किए गए सर्वे में यह दावा किया गया है। सर्वे के अनुसार, नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा है। केवल 18 प्रतिशत लोगों ने नीतीश को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहा।
इसके अलावा, सर्वेक्षण में शामिल 41 प्रतिशत लोग RJD नेता तेजस्वी यादव को बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। सीएम के तौर पर उनकी शीर्ष पसंद के बारे में पूछे जाने पर 15 प्रतिशत ने जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर को वोट दिया। जबकि 8 प्रतिशत ने बीजेपी के सम्राट चौधरी को वोट दिया। वहीं, 4 प्रतिशत ने लोजपा (RV) के अध्यक्ष चिराग पासवान को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना पसंद किया।
किसे कितनी सीटें मिलने की उम्मीद?
हालांकि सर्वेक्षण में यह नहीं बताया गया कि प्रत्येक पार्टी कितनी सीटें जीत सकती है। लेकिन नीतीश की लोकप्रियता बहुत उत्साहजनक नहीं लगती। इससे पहले सी-वोटर के एक सर्वेक्षण में NDA की लगभग जीत का अनुमान लगाया गया था। उस सर्वे में राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से 33 से 35 पर सत्तारूढ़ गठबंधन की जीत का अनुमान लगाया गया था। दूसरी ओर, सर्वेक्षण में विपक्षी 'महागठबंधन' को केवल 5-7 लोकसभा सीटें मिलने की भविष्यवाणी की गई थी।
महागठबंधन में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) शामिल हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में RJD राज्य की 243 सीटों में से 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। वहीं, 74 सीटें लाने वाली बीजेपी ने नीतीश कुमार की JDU के साथ सरकार बनाई। नीतीश की पार्टी ने 43 सीटें हासिल की थी। 2020 के चुनावों में कांग्रेस ने 19 सीटें जीतीं, जबकि LJP सिर्फ एक सीट हासिल करने में सफल रही।
क्या है बिहार के मुद्दे?
ताजा सर्वेक्षण में बेरोजगारी मतदाताओं के लिए सबसे बड़ी चिंता के रूप में उभरी है। 45 प्रतिशत लोगों ने बेरोजगारी को इस चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बताया है। इसके बाद महंगाई (11%), बिजली, पानी और सड़क (10%) जैसे प्रमुख मुद्दे हैं। किसानों के मुद्दे और भ्रष्टाचार प्रत्येक 4-4% हैं। 50 फीसदी वोटर्स ने कहा कि वे मौजूदा व्यवस्था से नाराज हैं। उनका कहना है कि वे बदलाव चाहते हैं। जबकि 22% ने कहा कि वे नाराज हैं, लेकिन वे बदलाव नहीं चाहते हैं। दूसरी ओर सर्वे में शामिल 25 प्रतिशत लोग सरकार से न तो नाराज थे और न ही कोई बदलाव चाहते थे।
सर्वेक्षण के निष्कर्षों ने आगे बताया कि 58 प्रतिशत ने महसूस किया कि नीतीश कुमार की विश्वसनीयता बहुत कम हो गई है। जबकि 13 प्रतिशत ने कहा कि यह कुछ हद तक कम हो गई है। इसके अलावा 21 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें सीएम की विश्वसनीयता में कोई कमी नहीं दिख रही है। बता दें कि बिहार विधानसभा के चुनाव इस साल अक्टूबर या नवंबर में होने की उम्मीद है। बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए ने कहा है कि वह नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा।