Bihar Election: बिहार चुनाव में जाति और दल के साथ उतरने के लिए तैयार BJP, दिल्ली, महाराष्ट्र की सफलता को दोहराने की योजना
फिलहाल, BJP 84 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। पूर्वी राज्य में चुनाव में कुछ महीने बचे हैं, ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि भगवा पार्टी दिल्ली में अपने हाल के अनुभव से प्रेरणा लेगी, खासतौर से जनता से लगातार संपर्क और सुविचारित चुनाव मशीनरी से, जिसके कारण अनुकूल परिणाम मिले
Bihar Election: बिहार चुनाव में जाति और दल के साथ उतरने के लिए तैयार BJP
बिहार विधानसभा के लिए लड़ाई 2025 के आखिर में होगी। वर्तमान में, राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार है, जिसका नेतृत्व जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रमुख नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में कर रहे हैं। बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं और NDA के पास 138 सीटें हैं। फिलहाल, BJP 84 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। पूर्वी राज्य में चुनाव में कुछ महीने बचे हैं, ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है।
ऐसा माना जा रहा है कि भगवा पार्टी दिल्ली में अपने हाल के अनुभव से प्रेरणा लेगी, खासतौर से जनता से लगातार संपर्क और सुविचारित चुनाव मशीनरी से, जिसके कारण अनुकूल परिणाम मिले।
एक या दो महीने के भीतर भगवा पार्टी के नेता राज्य में उतरेंगे और लोगों से संपर्क करने के लिए पूरे राज्य का दौरा करेंगे। पार्टी नेताओं को दिल्ली के नेताओं की तरह गांवों और झुग्गी-झोपड़ियों में रात बिताने के लिए कहा जाएगा।
जाति, सोशल इंजीनियरिंग और फीडबैक
बिहार की चुनावी राजनीति में जाति का वर्चस्व एक बेहद अहम फैक्टर है, और यह बात भगवा पार्टी के नेताओं के दिमाग में पहले से ही है। NDA के लिए समर्थन जुटाने के लिए समाज और समुदाय के हर वर्ग तक पहुंच बनाई जाएगी।
सोशल इंजीनियरिंग एक बड़ी भूमिका निभाएगी, और BJP और उसके गठबंधन सहयोगी इस फैक्टर पर ज्यादा जोर देंगे। मैदान में उतरने वाले नेताओं में केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक और देशभर के पदाधिकारी शामिल होंगे।
राजनीतिक नेताओं की तैनाती सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी की ओर से कई चुनावों में व्यक्तिगत रूप से लोगों को चिन्हित करने, अलग-अलग राज्यों से लोगों को तैनात करने (भौगोलिक स्थिति, जाति समीकरण और भाषाई समानता के आधार पर) की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई है।
घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने CNN-News18 को बताया है कि NDA यह चुनाव मौजूदा सीएम नीतीश कुमार के नाम पर लड़ेगा। हालांकि, बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फैसला नतीजों और आंकड़ों के सामने आने के बाद ही होगा। NDA के नेता चुनाव नतीजों के बाद कोई भी अंतिम फैसला लेने से पहले नीतीश कुमार से सलाह लेंगे।
अपने आउटरीच के जरिए, बीजेपी इसे केवल प्रचार या प्रचार की रणनीति नहीं बनाना चाहती है, बल्कि इसे दो-तरफा बनाना चाहती है- जमीनी स्तर पर लोगों से फीडबैक हासिल करना और फिर मिले विचारों के अनुसार समाधान देना।
दोतरफा संवाद स्थापित करना बीजेपी के लिए अत्यंत लाभकारी रहा है, न केवल हाल के दिल्ली चुनावों में, बल्कि हरियाणा और महाराष्ट्र दोनों में व्यापक जीत के दौरान भी।
जमीन पर उतरने वाले नेता लोगों को केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की नीतीश कुमार सरकार की जन कल्याण के लिए किए गए कामों पर भी जोर देंगे।
बजट में इजाफा और सर्वे
नेतागण वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से हाल ही में पेश किए गए बजट में बिहार को दिए गए महत्व पर भी जोर डालेंगे। बिहार में विकास, कल्याण और स्वास्थ्य से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को सुनिश्चित करने के लिए कई प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई। मखाना अपने आप में एक सुपरफूड है। उसके लिए बोर्ड बनाने की लंबे समय से चली आ रही मांग को भी इस साल के बजट में मोदी कैबिनेट ने तवज्जो दी है।
पार्टी किसी भी उम्मीदवार या सीट आवंटन पर चर्चा करने से पहले कई सर्वे कराने पर भी विचार कर रही है। यह पूरी संभावना है कि भाजपा लगभग 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, और JDU को 90-95 सीटें दी जा सकती हैं। बाकी सीटों पर गठबंधन के दूसरे घटक दल चुनाव लड़ेंगे।
जेडीयू और बीजेपी के अलावा राज्य और केंद्र में गठबंधन के दूसरे घटक दलों में चिराग पासवान की पार्टी LGP (रामविलास पार्टी), जीतन राम मांझी की HAM पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी शामिल हैं। हालांकि, सीटों का बंटवारा तभी होगा जब सर्वे रिपोर्ट आएगी और जमीनी स्तर पर फीडबैक लिया जाएगा। किसी भी पार्टी या व्यक्ति को टिकट देने के लिए सबसे बड़ा मानदंड जीत की संभावना होगी।