महागठंधन के इन 2 नेताओं ने डुबोई बिहार में नैया? तेजस्वी यादव के माने जाते हैं करीबी

Bihar Chunav Results: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने महागठबंधन (MGB) की उम्मीदों को तगड़ा झटका दिया है। जहां एनडीए 200 से ज्यादा सीटों पर मजबूत बढ़त के साथ सरकार बनाते दिख रहा है, वहीं महागठबंधन 30 सीटों के आस-पास सिमटता नजर आ रहा है। ‘पढ़ाई-कमाई-दवाई’ के नारे के साथ मैदान में उतरे तेजस्वी यादव का गठबंधन बुरी तरह हार चुका है

अपडेटेड Nov 14, 2025 पर 8:58 PM
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Bihar Chunav Results: कांग्रेस की ओर से बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू भी निशाने पर हैं

Bihar Chunav Results: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने महागठबंधन (MGB) की उम्मीदों को तगड़ा झटका दिया है। जहां एनडीए 200 से ज्यादा सीटों पर मजबूत बढ़त के साथ सरकार बनाते दिख रहा है, वहीं महागठबंधन 30 सीटों के आस-पास सिमटता नजर आ रहा है। ‘पढ़ाई-कमाई-दवाई’ के नारे के साथ मैदान में उतरे तेजस्वी यादव का गठबंधन बुरी तरह हार चुका है। लेकिन अब पराजय के साथ ही महागठबंधन के भीतर उंगलियां उठने लगी हैं।

कांग्रेस सांसद अखिलेश सिंह और RJD के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने महागठबंधन के दो नेताओं- संजय यादव (RJD) और कृष्णा अल्लावरू (कांग्रेस) को हार का जिम्मेदार बताया है। इसमें संजय यादव जहां तेजस्वी यादव का बेहद करीबी माना जाता है। वहीं कृष्णा अल्लावरू को गांधी परिवार के करीबी के तौर पर देखा जाता है।

आरोप है कि इन दोनों ‘बाहरी सलाहकारों’ ने सीट बंटवारे में देरी, रणनीतिक चूक और फ्रेंडली फाइट जैसी गलतियों से गठबंधन को भारी नुकसान पहुंचाया।


हार के बाद महागठबंधन में शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप

मतगणना के बीच ही महागठबंधन के नेता खुलकर बयान देने लगे। कांग्रेस सांसद अखिलेश सिंह ने कहा कि भीड़ और रैलियों की सफलता के बावजूद नतीजे चौंकाने वाले हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सीट शेयरिंग में देरी और फ्रेंडली फाइट ने गठबंधन की स्थिति कमजोर कर दी। उनके अनुसार, इस गड़बड़ी की जिम्मेदारी RJD के संजय यादव और कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू को लेनी चाहिए।

अखिलेश सिंह के बयान ने महागठबंधन की आंतरिक राजनीति में भूचाल ला दिया। उनका आरोप था कि दोनों ‘बाहरी रणनीतिकारों’ ने जमीनी हकीकत को समझे बिना फैसले लिए।

RJD के वरिष्ठ नेता का भी ‘बाहरी दखल’ पर हमला

अब्दुल बारी सिद्दीकी ने भी अपनी ही पार्टी के शीर्ष रणनीतिकारों पर अप्रत्यक्ष वार किया। उनका कहना था कि बिहार की राजनीतिक जमीन को समझने वालों को दरकिनार कर बाहरी सलाहकारों पर भरोसा किया गया, जिसका नतीजा खराब प्रदर्शन के रूप में आया। हालांकि उन्होंने नाम नहीं लिया, लेकिन उनके संकेत साफ तौर पर संजय यादव और कृष्णा अल्लावरू की ओर इशारा करते हैं।

कौन हैं संजय यादव, जिन पर RJD के अंदर बढ़ रहे सवाल?

हरियाणा के रहने वाले संजय यादव, तेजस्वी यादव के सबसे भरोसेमंद और अहम रणनीतिक सलाहकार माने जाते हैं। 2020 के बाद से वे RJD के सोशल मीडिया कैंपेन, चुनावी रणनीति और सीट बंटवारे में प्रमुख भूमिका निभाते रहे हैं। इस चुनाव में उन पर आरोप है कि उन्होंने RJD को ज्यादा सीटें दिलाने के लिए दबाव बनाया, जिससे कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों में नाराजगी बढ़ी।

इसके अलावा कई सीटों पर RJD और कांग्रेस के बीच सीधे संघर्ष (फ्रेंडली फाइट) ने महागठबंधन को भारी हानि पहुंचाई। सूत्रों के अनुसार, करगहर, नरकटियागंज, सिकंदरा जैसी सीटों पर आंतरिक लड़ाई ने गठबंधन को संभावित 10–15 सीटों से वंचित कर दिया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि संजय यादव ने “कांग्रेस को कम आंकने” वाली रणनीति अपनाई, जिससे तालमेल बिगड़ गया।

कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू पर भी उठे सवाल

उधर कांग्रेस की ओर से बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू भी निशाने पर हैं। दक्षिण भारत से आने वाले अल्लावरू को 2025 चुनाव में बिहार की बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी। राहुल गांधी ने खुद उन्हें चुनावी रणनीति तैयार करने का काम सौंपा था। लेकिन कांग्रेस के भीतर ही कई नेताओं ने उन पर फ्रेंडली फाइट रोकने में विफल रहने और सीटों के उचित वितरण में देरी जैसे आरोप लगाए।

कांग्रेस 70 सीटें चाहती थी, लेकिन उसे सिर्फ 61 सीटों पर ही लड़ने का मौका मिला। अखिलेश सिंह के अनुसार, अल्लावरू महागठबंधन में समय रहते तालमेल नहीं बैठा सके, जिससे चुनावी नुकसान बढ़ा।

क्या यही चूक बनी MGB की करारी हार की वजह?

महागठबंधन की हार के बाद जिस तरह से संजय यादव और कृष्णा अल्लावरू पर आरोप लगाए जा रहे हैं, उससे साफ है कि दल के भीतर गहरी नाराजगी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीट शेयरिंग में देर, आंतरिक लड़ाई और बाहरी रणनीतिकारों पर अत्यधिक निर्भरता ने महागठबंधन की जमीन कमजोर कर दी।

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