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Abhishek Bachchan: अभिषेक बच्चन को दिल्ली HC से बड़ी राहत, वेबसाइटों पर एक्टर के नाम और तस्वीर के अवैध इस्तेमाल पर रोक

Abhishek Bachchan News: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी वेबसाइट्स और न्यूज प्लेटफॉर्म AI जैसी टेक्नोलॉजी से अभिषेक बच्चन के व्यक्तित्व की विशेषताओं का इस्तेमाल उनकी अनुमति के बिना कर रहे हैं। इनमें उनका नाम, तस्वीर और सिग्नेचर शामिल हैं

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Sep 12, 2025 पर 3:36 PM
Abhishek Bachchan: अभिषेक बच्चन को दिल्ली HC से बड़ी राहत, वेबसाइटों पर एक्टर के नाम और तस्वीर के अवैध इस्तेमाल पर रोक
Abhishek Bachchan News: अभिषेक बच्चन के नाम या तस्वीरों का अवैध रूप से इस्तेमाल करने पर कोर्ट ने रोक लगा दी है

Abhishek Bachchan News: दिल्ली हाई कोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेता अभिषेक बच्चन के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करते हुए ऑनलाइन वेबसाइटों पर व्यावसायिक लाभ के लिए उनके नाम या तस्वीरों का अवैध रूप से इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी वेबसाइट्स और न्यूज प्लेटफॉर्म AI जैसी टेक्नोलॉजी से अभिषेक बच्चन के व्यक्तित्व की विशेषताओं का इस्तेमाल उनकी अनुमति के बिना कर रहे हैं। इनमें उनका नाम, तस्वीर और सिग्नेचर शामिल हैं।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जस्टिस तेजस करिया ने 10 सितंबर को पारित आदेश में कहा, "ये विशेषताएं वादी के पेशेवर कार्य और उसके करियर से जुड़ी हैं। ऐसी विशेषताओं के अनधिकृत उपयोग से उनकी साख और प्रतिष्ठा पर असर पड़ता है।" हाई कोर्ट का यह आदेश शुक्रवार को मीडिया को उपलब्ध कराया गया। हाई कोर्ट ने कहा कि बच्चन ने एक पक्षीय निषेधाज्ञा प्राप्त करने के लिए प्रथम दृष्टया एक मजबूत मामला स्थापित किया है। सुविधा का संतुलन भी उनके पक्ष में है।

हाई कोर्ट के आदेश में कहा गया, "सुविधा का संतुलन वादी के पक्ष में है और यदि वर्तमान मामले में निषेधाज्ञा नहीं दी जाती है, तो इससे वादी और उनके परिवार को न केवल आर्थिक रूप से बल्कि गरिमा के साथ जीवन जीने के उनके अधिकार के संबंध में भी अपूरणीय क्षति या हानि होगी।"

'सुविधा का संतुलन' एक कानूनी सिद्धांत है जिसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि किसी मामले में अंतरिम राहत, जैसे कि निषेधाज्ञा या स्थगन दिया जाना चाहिए या नहीं। इस सिद्धांत के तहत, अदालतें यह मूल्यांकन करती हैं कि यदि राहत नहीं दी जाती है तो किस पक्ष को अधिक असुविधा या नुकसान होगा, और उस नुकसान की भरपाई कानूनी रूप से नहीं की जा सकती

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