जीपी सिप्पी ने कई फिल्मों में निवेश किया, डायरेक्टर बने, प्रोड्यूसर बने, मगर सफलता बहुत दूर थी। उन्हें नए नजरिये की जरूरत थी। सो अपने बेटे रमेश को वो लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से वापस भारत ले आए और कारोबार संभालने को कहा। इसके बाद 1975 में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का वो करिश्मा हुआ, जिसे दुनिया ‘शोले’ के नाम से जानती है। इसे रमेश सिप्पी ने डायरेक्ट किया और कहानी और डायलॉग सलीम-जावेद की जोड़ी ने लिखे। ‘शोले’ ने भारतीय सिनेमा के नए मायने गढ़े। ये फिल्म कल्ट क्लासिक बनी। अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, संजीव कुमार और गब्बर के रोल में अमजद खान ने अपने करियर का कभी न भूलाने वाला रोल किया। तीन करोड़ के बजट में बनी फिल्म पांच साल तक सिनेमाघरों से नहीं उतरी। इस फिल्म ने अपनी कहानी कहने की कला, अद्भुत किरदार और बेमिसाल डायलॉग से एक खास मुकाम हासिल किया। इसके अलावा सिप्पी ने ‘शान’, ‘सीता और गीता’, ‘सागर’, ‘राजू बन गया जेंटलमैन’, ‘पत्थर के फूल’ जैसी कई फिल्में बनाईं। 2007 में 93 साल की उम्र में जीपी सिप्पी ने अंतिम सांस ली।