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Kantara Chapter 1 Movie Review: कांतारा चैप्टर 1 ने सिनेमाघरों में काटा बवाल, दमन, समानता और शोषण की कहानी ने नम की आंखे

Kantara Chapter 1 Movie Review: कांतारा चैप्टर 1 एक शानदार फिल्म है, जिसमें सामाजिक मुद्दों को उठाया गया है, और शालीनता से पेश किया गया है। ऋषभ शेट्टी के निर्देशन में बनी यह फिल्म तकनीकी और कहानी दोनों स्तर पर सुपर से ऊपर है।

अपडेटेड Oct 02, 2025 पर 11:35 AM
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कांतारा चैप्टर 1 ने सिनेमाघरों में काटा बवाल...

फिल्म- कांतारा चैप्टर 1

रेटिंग- 4/5

कलाकार- रुक्मिणी वसंत,  ऋषभ शेट्टी, जयराम, गुलशन

निर्देशक- ऋषभ शेट्टी

Kantara Chapter 1 Movie Review: ऋषभ शेट्टी ने सिनेमाघरों में बवाल मचा दिया है। कांतारा चैप्टर 1 से उन्होंने सिनेमाघरों में गर्दा उड़ा दिया है। ये फिल्म आज रिलीज हो गई है और सुबह से ही लोग इस फिल्म को देखने के लिए कतारों में कड़े हैं। कई दिनों पहले ही लोगों ने इसके लिए एडवांस बुकिंग कर ली थी। ताकि वो पहले दिन ही जाकर फिल्म का आनंद ले सकें। आज छुट्टी के दिन के दिन इस फिल्म को काफी फायदा होने वाला है। अगर आप भी फिल्म देखने जा रहे हैं तो ये रिव्यू जरूर पढ़ लें...


फिल्म की शुरुआत कदंब वंश के क्रूर शासक से होती दिखती है, जो हर ज़मीन और पानी को अपने कब्ज़े में लेने की चाह में है। चाहे आदमी हो, औरत या बच्चा...किसी के लिए उसके मन में कोई भावना नहीं है। वह सबको मारकर अपनी हुकूमत को बढ़ाता चला जा रहा है।

फिल्म में आगे देखेंगे कि उसे समुद्र किनारे मछली पकड़ते एक रहस्यमयी बूढ़ा आदमी दिखता है। वह अपने सैनिकों को उसे पकड़ने का आदेश दे देता है। जैसे ही वे उसे खींचकर ले जाते हैं, उसके थैले से कीमती सामान नीचे गिरने लगते हैं।

शासक उन चीज़ों को देखता है और उनके स्रोत की खोज में निकल जाता है। यह सफ़र उसे कांतारा पहुंचाता है, जहां जनजातियां प्रकृति के साथ सामंजस्य में रह रही होती हैं। जब उसकी नज़र ईश्वर पूंधोट्टम पर जाती है, जो कांतारा की एक पवित्र जगह है और दिव्य शक्ति ने संरक्षित कर रखी है, तभी उसकी महत्वाकांक्षा को असली चुनौती मिल जाती है।

कई सालों बाद कहानी पहुंचती है, विजयेंद्र (जयाराम) तक, जो भांगड़ा का राजा होता है। लंबे शासन के बाद उसका बेटा कुलशेखर (गुलशन देवैया) राजा बन जाता है। उसकी बेटी कनकवती (रुक्मिणी वसंत) कोष की ज़िम्मेदारी लेती है। दूसरी तरफ, कांतारा के नेता बर्मे (ऋषभ शेट्टी) गांव को विकसित करने और लोगों का जीवन सुधारने में लगा रहता है। जब कांतारा के लोग भांगड़ा जाते हैं, तो मामला ज़मीन के मालिकाना हक, उसकी रक्षा और उसके विनाश की धमकी के कारण जंग का रूप ले लेता है।

अगर 2022 की ‘कांतारा’ ने आपकी सांसें थाम दी थीं, तो यह प्रीक्वल (पहला भाग) उस अनुभव को हजार गुना करने वाला है। फिल्म जैसे ही कदंब और भांगड़ा वंश और जनजातियों की पृष्ठभूमि की आवाजों से शुरू होती है, आप उसकी दुनिया में खो जाने वाले हैं। हर दृश्य बेहद बारीकी से फिल्माया गया है। दमन, समानता और शोषण इन सबको फिल्म गहरी संवेदनशीलता से पेश करती है। रथ और घोड़े वाला दृश्य, जहां कांतारा की जनजाति जिन्हें अछूत कहा जाता है, यह सीन सहज और दमदार तरीके से पेश किया गया है।

‘कांतारा: चैप्टर 1’ की सबसे बड़ी ताकत उसकी शानदार कहानी है। कहानी आपको सोचने पर मजबूर करेगी कि जब कोई फिल्म ऐसा करती है तो वह दर्शकों को पूरी तरह सीट पर बांधने में कामयाब हो जाती है। कहानी और अभिनय के अलावा फिल्म तकनीकी स्तर पर भी फिल्म शानदार है। अरविंद एस कश्यप की सिनेमैटोग्राफी, अजनिश लोकनाथ का संगीत और विज़ुअल इफेक्ट्स आपका दिल जीत लेंगे।

‘कांतारा’ की तुलना में प्रीक्वल में और भी शानदार सीन हैं, लेकिन यह कहानी पर हावी नहीं होते है। हालांकि, दूसरे हिस्से में कुछ ग्राफिक्स थोड़े से फीके हैं, पर यह पूरी फिल्म के सामने छोटी सी कमी है। फिल्म का क्लाइमैक्स और गुलिगा वाले सीन बार-बार देखने का मन करता हैं।

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