Manoj Kumar Death: मशहूर बॉलीवुड अभिनेता और फिल्म निर्माता मनोज कुमार का शुक्रवार (4 अप्रैल) तड़के मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में निधन हो गया। वह 87 साल के थे। मनोज कुमार के पारिवारिक मित्र एवं फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने बताया कि कुमार कुछ समय से बीमार थे। उन्होंने बताया कि उम्र संबंधी समस्याओं के कारण तड़के करीब साढ़े तीन बजे उनका निधन हो गया। दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित मनोज कुमार को 'शहीद' (1965), 'उपकार' (1967), 'पूरब और पश्चिम' (1970) और 'रोटी कपड़ा और मकान' (1974) जैसी मशहूर फिल्मों के लिए जनता का अपार स्नेह एवं प्यार मिला।
मनोज कुमार (Manoj Kumar) को खासतौर पर उनकी देशभक्ति के लिए जाना जाता था। फिल्मों के जरिए देशभक्ति का अलख जगाने वाले कुमार को 'भारत कुमार (Bharat Kumar)' के नाम से भी जाना जाता था। उनका असली नाम हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी (Harikrishna Giri Goswami) था। मनोज कुमार का फिल्मी एक्टिंग करियर 1957 की फिल्म 'फैशन' से शुरू हुआ था। कुमार का सबसे ज्यादा चर्चित दौर 1960 और 1970 में रहा। इस दौरान उन्होंने दर्जनों फिल्मों का निर्देशन किया। इनमें से अधिकतर फिल्में उन्होंने खुद लिखीं और उसमें एक्टिंग भी किया।
मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को ऐबटाबाद में हुआ, जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बना। बंटवारे के बाद कुमार के माता-पिता ने भारत में रहने का फैसला किया। इसी के साथ वह दिल्ली आ गए। मनोज कुमार ने बंटवारे का दर्द बहुत नजदीक से देखा था। बताया जाता है कि वह दिलीप कुमार और अशोक कुमार की फिल्मों को देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने एक्टर बनने का निश्चय कर लिया। इसी के साथ ही उन्होंने अपना नाम हरिकिशन से बदलकर मनोज कुमार रख लिया।
मनोज कुमार शुरू से ही अभिनेता बनना चाहते थे और जब वह कॉलेज में थे। यही वह है कि वह थिएटर ग्रुप से जुड़े। फिर दिल्ली से उन्होंने मुंबई का सफर तय किया। मुंबई में मनोज कुमार ने एक्टिंग करियर की शुरुआत की। 1957 में उनकी फिल्म 'फैशन' आई। इसके बाद 1960 में उनकी फिल्म 'कांच की गुड़िया' रिलीज हुई।
बतौर मुख्य अभिनेता के तौर पर यह फिल्म दर्शकों को पसंद आई। लोग मनोज कुमार को नोटिस करने लगे। इसके बाद तो मनोज कुमार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मनोज कुमार ने इसके बाद हिन्दी सिनेमा को 'उपकार', 'पत्थर के सनम', 'रोटी कपड़ा और मकान', 'संन्यासी' और 'क्रांति' जैसी सुपरहिट फिल्में दीं।
खास बात यह है कि दिग्गज अभिनेता की फिल्मों में उनका नाम मनोज कुमार ही रहता था। मनोज कुमार ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कहने पर एक फिल्म बनाई थी। उसका नाम 'उपकार' रखा गया। इसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। दुख की बात यह है कि इस फिल्म को पूर्व पीएम देख नहीं पाए थे।
मनोज कुमार को उनकी फिल्मों के लिए 7 फिल्मफेयर पुरस्कार मिले थे। साल 1968 में उपकार ने बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्टोरी और बेस्ट डायलॉग के लिए चार फिल्मफेयर जीते। 1992 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 2016 में उन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया।
'क्रांति' के लिए दांव पर रखा सबकुछ
मनोज कुमार की सबसे बड़ी पीरियड एक्शन ड्रामा फिल्म था 'क्रांति', जो 1981 में रिलीज के बाद सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय मूवीज बन गई। उस वक्त इस फिल्म का बजट करीब 3 करोड़ रुपये था। जैसे ही शूटिंग शुरू हुई निर्माता इस फिल्म से पीछे हट गए। अब पैसे खर्च की जिम्मेदारी खुद मनोज कुमार पर आ गई। लेकिन मनोज कुमार पीछे नहीं हटे।
उन्होंने इस फिल्म को बनाने के लिए दिल्ली में अपना बंगला और मुंबई में अपनी जमीन तक बेच दी। 'क्रांति' को आखिरकार रिलीज कर दिया गया, जिसके बाद मनोज कुमार हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गए। यह फिल्म ब्लॉकबस्टर बन गई। रिपोर्ट के मुताबिक, कुमार की इस फिल्म ने करीब 20 करोड़ रुपये की कमाई की। इसने अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र-स्टारर 'शोले' को पीछे भी छोड़ दिया।