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Kidney Stone: नाइट शिफ्ट में करते हैं काम तो हो जाएं सावधान, किडनी स्टोन का खतरा... स्टडी में हुआ ये हैरान करने वाला खुलासा

आज के समय में ज्यादातर कंपनियां चौबीसों घंटे काम करने का वर्क कल्चर अपना रही है। इसकी वजह से कर्मचारियों को नाइट शिफ्ट में काम करना पड़ता है। हाल ही में एक स्टडी में पता चला है कि नाइट शिफ्ट करने वाले कर्मचारियों में किडनी स्टोन होने का खतरा ज्यादा होता है

अपडेटेड Oct 03, 2025 पर 8:48 PM
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Kidney Stone: नाइट शिफ्ट में काम करने वाले 15% लोगों में किडनी स्टोन का खतरा होता है (Photo: Canva)

आज के भागदौड़ भरी जिंदगी में किडनी स्टोन होना आम समस्या बन गई है। ये बिमारी लोगों के सेहत का काफी बुरा प्रभाव डालती है। इसकी वजह से कई और बिमारियों का भी खतरा बना रहता है। वहीं आज के समय में ज्यादातर कंपनियां चौबीसों घंटे काम करने का वर्क कल्चर अपना रही है। इसकी वजह से कर्मचारियों को अलग-अलग शिफ्ट में काम करना पड़ता है। कई जगहों पर परमानेंट नाइट शिफ्ट भी होती है, जिसे करना काफी मुश्किल होता है। इससे कई स्वास्थ्य से संबधित समस्या भी होती है।

हाल ही में एक स्टडी में पता चला है कि नाइट शिफ्ट करने वाले कर्मचारियों में किडनी स्टोन होने का खतरा ज्यादा होता है। मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, ये परेशानी खासकर उन युवाओं और कर्मचारियों में ज्यादा पाई गई है जिनकी नौकरी में शारीरिक मेहनत बहुत कम होती है।

रिसर्च में क्या मिला


TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स में छपे एक बड़े अध्ययन के अनुसार, नाइट शिफ्ट में काम करने वाले 15% लोगों में किडनी स्टोन का खतरा होता है। ये खतरा खासकर युवाओं और उन कर्मचारियों में अधिक है जिनकी नौकरी में ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी नहीं होती। करीब 14 साल तक चले इस स्टडी में 2.20 लाख से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया। इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने ये देखा की कौन नाइट शिफ्ट में कितनी बार, कितने वर्षों और कितनी देर रात में काम करता है। इसके बाद शोधकर्ताओं ने किडनी स्टोन बनने की घटनाओं से तुलना की गई।

कितना प्रतिशत है चांस

शोध में पाया गया कि शिफ्ट में काम करने वालों को दिन में काम करने वालों की तुलना में लगभग 15% ज्यादा किडनी स्टोनहोने का खतरा रहता है। हैरानी की बात यह भी है कि इसका असर सिर्फ बुजुर्गों पर नहीं, बल्कि युवा कर्मचारियों पर सबसे ज्यादा देखा गया। खासकर वे लोग जिनकी नौकरी में फिजिकल एक्टिविटी कम होती है, जैसे डेस्क जॉब करने वाले, उनमें यह जोखिम और भी अधिक पाया गया।

शरीर में होते है ये बदलाव

इस समस्या की जड़ हमारे शरीर की सर्कैडियन लय है, यानी वह 24 घंटे की आंतरिक घड़ी जो नींद, हार्मोन और मेटाबॉलिज़्म जैसी प्रक्रियाओं को नियंत्रित करती है। जब कोई व्यक्ति रात में जागता है और दिन में सोने की कोशिश करता है, तो वह इस प्राकृतिक घड़ी के विपरीत चलने लगता है, जिससे शरीर पर नकारात्मक असर पड़ता है।

एक्सपर्ट ने क्या कहा

चीन के सन यात-सेन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता यिन यांग के अनुसार, नाइट शिफ्ट से भोजन और तरल पदार्थों को प्रोसेस करने का तरीका बदल सकता है, हार्मोन का संतुलन बिगड़ सकता है और ऐसी आदतें बन सकती हैं जो किडनी के लिए नुकसानदायक साबित होती हैं। अध्ययन में यह भी बताया गया कि नाइट शिफ्ट और किडनी की पथरी का संबंध कुछ हद तक लाइफस्टाइल की आदतों से जुड़ा होता है। इसमें स्मोकिंग करना, पर्याप्त नींद न लेना, पानी कम पीना और ज्यादा बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) जैसे कारण शामिल हैं, जो इस खतरे को और बढ़ा देते हैं।

डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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