Credit Cards

100 years Of RSS: 'हम दो हमारे तीन की नीति होनी चाहिए'; जनसंख्या को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, लोगों से की ये अपील

100 years Of RSS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष समारोह में गुरुवार (28 अगस्त) को मीडिया को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि देश में 'हम दो हमारे तीन' की नीति होनी चाहिए। भागवत ने कहा कि दुनिया में सब शास्त्र कहते हैं कि जन्म दर 3 से कम जिनका होता है वो धीरे धीरे लुप्त हो जाते हैं

अपडेटेड Aug 28, 2025 पर 7:47 PM
Story continues below Advertisement
100 years Of RSS: जनसंख्या को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान सामने आया है

Mohan Bhagwat on 100 years Of RSS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत में हर परिवारों को आदर्श रूप से तीन बच्चे पैदा करने चाहिए। RSS के 100 साल होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम दो हमारे तीन की नीति होनी चाहिए। भागवत ने कहा कि दुनिया में सब शास्त्र कहते हैं कि जन्म दर 3 से कम जिनका होता है वो धीरे धीरे लुप्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर लोग मुझे बताते हैं कि शादी में बहुत देर न करने और 3 संतान करने से माता-पिता और संतानों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

RSS के शताब्दी वर्ष समारोह में मीडिया को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारतवर्ष के प्रत्येक नागरिक को ये देखना चाहिए कि अपने घर में 3 संतान होने चाहिए। उन्होंने भारत के सभी लोगों से अपील करते हुए कहा, "सभी भारतीय नागरिकों को तीन बच्चे पैदा करने पर विचार करना चाहिए, ताकि जनसंख्या पर्याप्त हो और नियंत्रण में भी रहे"

मोहन भागवत ने जनसांख्यिकीय असंतुलन के पीछे धर्मांतरण और अवैध प्रवास को प्रमुख कारण बताया। उन्होंने कहा कि सरकार अवैध प्रवास को रोकने का प्रयास कर रही है। लेकिन समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। एक सवाल के जवाब में भागवत ने कहा कि धर्म व्यक्तिगत पसंद का विषय है। इसमें किसी प्रकार का प्रलोभन या जोर-जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए।


उन्होंने कहा, "धर्मांतरण और अवैध प्रवास जनसांख्यिकीय असंतुलन के प्रमुख कारण हैं। हमें अवैध प्रवासियों को नौकरी नहीं देनी चाहिए। हमें मुसलमानों सहित अपने लोगों को नौकरी देनी चाहिए।" आरएसएस सरसंघचालक से अवैध घुसपैठ पर संघ के विचार पूछे गए। उन्होंने कहा, "सरकार अवैध घुसपैठ पर नियंत्रण की कोशिश कर रही है। लेकिन समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। धर्म व्यक्तिगत पसंद का विषय है। इसमें किसी तरह का प्रलोभन या जोर-जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए।"

गुरुकुल शिक्षा पर दिया जोर

इस दौरान मोहन भागवत ने गुरुकुल शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा के साथ जोड़ने की अपील करते हुए कहा कि गुरुकुल शिक्षा का मतलब आश्रम में रहना नहीं बल्कि देश की परंपराओं के बारे में सीखना है। आरएसएस के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह के दौरान एक सवाल पर भागवत ने कहा कि वह संस्कृत को अनिवार्य बनाने के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन देश की परंपरा और इतिहास को समझना महत्वपूर्ण है।

पीटीआई के मुताबिक उन्होंने कहा, "वैदिक काल के प्रासंगिक 64 पहलुओं को पढ़ाया जाना चाहिए। गुरुकुल शिक्षा को मुख्यधारा में शामिल किया जाना चाहिए, न कि उसे प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए।" आरएसएस सरसंघचालक ने कहा कि मुख्यधारा को गुरुकुल शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए, जिसका मॉडल फिनलैंड के शिक्षा मॉडल के समान है।

उन्होंने कहा, "शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी देश फिनलैंड में शिक्षकों के ट्रेनिंग के लिए एक अलग विश्वविद्यालय है। स्थानीय आबादी कम होने के कारण कई लोग विदेश से आते हैं। इसलिए वे सभी देशों के छात्रों को स्वीकार करते हैं।"

ये भी पढ़ें- 100 years Of RSS: 'कहीं कोई झगड़ा नहीं है'; आरएसएस शताब्दी पर BJP के साथ संबंधों पर बोले मोहन भागवत

एक सवाल के जवाब में भागवत ने आगे कहा, "8वीं कक्षा तक की शिक्षा छात्रों की मातृभाषा में दी जाती है। इसलिए गुरुकुल शिक्षा का मतलब आश्रम में जाकर रहना नहीं है, इसे मुख्यधारा से जोड़ना होगा।" नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को सही दिशा में उठाया गया सही कदम बताते हुए भागवत ने कहा कि हमारे देश में शिक्षा प्रणाली बहुत पहले ही नष्ट हो गई थी।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।