बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटीज फोर्स) के 182वीं बटालियन के एक जवान पीके साहू के पाकिस्तानी कब्जे में गए सात दिन गुजर चुके हैं। करीब सात दिन पहले पीके साहू पंजाब के फिरोजपुर के समीप इंटरेशनल बॉर्डर पर गलती से पाकिस्तान चले गए थे और पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें पकड़ लिया। उनकी रिहाई के लिए दोनों देशों की फोर्सेज के बीच हर दिन बैठक हो रही है लेकिन पाकिस्तानी रेंजर्स लगातार "वरिष्ठ अधिकारियों से आदेश न मिलने" का बहाना बनाते हुए पीके साहू को अपनी हिरासत में रखे हुए हैं। न्यूज18 को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हर बैठक करीब 15 मिनट की हो रही है और हर बैठक में एक ही बहाना पाकिस्तान रेंजर्स दे रहे हैं कि उन्हें अपने उच्च अधिकारियों से निर्देशों का इंतजार है।
पाकिस्तान में कितना अंदर गए थे पीके साहू?
अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि पीके साहू पाकिस्तानी क्षेत्र में बमुश्किल 1-2 मीटर अंदर ही घुसे थे। यह एक ऐसी घटना थी, जिसे पाकिस्तान की इच्छा होने पर कुछ ही घंटों में सुलझाया जा सकता था। इसकी बजाय पूरे एक सप्ताह के बाद भी जवान को रिहा करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे पाकिस्तान की मंशा पर गंभीर चिंताएं पैदा हो रही हैं।
पहली बार नहीं हुई है ऐसी घटनाएं
ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है बल्कि गलती से इंटरनेशनल बॉर्डर पार होने की घटनाएं पहले भी होती रही हैं और दोनों पक्ष तुरंत आपसी समझ से मामले को संभालते रहे हैं। हालांकि इस बार पाकिस्तान टाल-मटोल किए जा रहा है और संभवत: इसकी वजह पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव हो। 22 अप्रैल को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के आतंकियों ने पहलगाम में पर्यटकों पर गोलीबारी की थी जिसमें 26 की मौत हो गई।
पीके साहू को छोड़ने को लेकर पाकिस्तान जैसी चाल चल रहा है, उससे वर्ष 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद विंग कमांडर Abhinandan Varthaman को पकड़ने के दौरान की गई उसकी पिछली चालों को दिखाती है। उस समय भी पाकिस्तान ने विंग कमांडर को लगभग 60 घंटे तक हिरासत में रखा था लेकिन फिर अंतरराष्ट्रीय दबाव में आखिरकार उन्हें रिहा करना पड़ा। इस बार भी गलती से सीमा पार करने के एक साधारण मामले पर पाकिस्तान की लंबी चुप्पी और निष्क्रियता उसके जानबूझकर और उकसावे वाले दृष्टिकोण को दिखाती है।