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एयरोस्पेस और डिफेंस जैसे सेक्टर्स में भारतीय जुगाड़ से काम नहीं चलने वाला, एक्सपर्ट्स की राय

इंडिया अपनी जुगाड़ टेक्नोलॉजी की वजह से मशहूर है। लेकिन, एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत को डीप-टेक इकोसिस्टम में अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए टेक्नोलॉजी के मामले में क्षमता बढ़ानी पड़ेगी

अपडेटेड Sep 22, 2025 पर 7:04 PM
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दिल्ली में नेटवर्क18 रिफॉर्म्स रीलोडेड 2025 समिट में एक्सपर्ट्स ने इस बारे में अपनी राय जताई।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर भारत एयरोस्पेस और डिफेंस जैसे सेक्टर्स में आत्मनिर्भर बनना चाहता है तो फिर जुगाड़ टेक्नोलॉजी से आगे बढ़ना होगा। दरअसल, इंडिया अपनी जुगाड़ टेक्नोलॉजी की वजह से मशहूर है। लेकिन, एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत को डीप-टेक इकोसिस्टम में अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए टेक्नोलॉजी के मामले में क्षमता बढ़ानी पड़ेगी। दिल्ली में नेटवर्क18 रिफॉर्म्स रीलोडेड 2025 समिट में एक्सपर्ट्स ने इस बारे में अपनी राय जताई।

Raphe mPhibr के को-फाउंडर एवं सीईओ विवेक मिश्रा ने एयरोस्पेस और डिफेंड जैसे सेक्टर्स में जुगाड़ वाली मानसिकता को लेकर सावधान किया। उन्होंने कहा, "कहा जाता है कि जुगाड़ के मामले में आगे रहा है। लेकिन इस सेक्टर में यह काम करने वाला नहीं है। अगर कोई सबसिस्टम स्तरीय नहीं है तो फिर उसके आधार पर भरोसेंद सिस्टम नहीं बनाया जा सकता।" उन्होंने कहा कि रिसर्च मुश्किल काम है, मैन्युफैक्चरिंग उससे भी मुश्किल है और मास मैन्युफैक्चरिंग सबसे मुश्किल है। इसके लिए पैसा और धैर्य चाहिए। उन्होंने न सिर्फ डिफेंस और एयरोस्पेस बल्कि दूसरी इंडस्ट्रीज के लिए भी मजबूत R&D ईकोसिस्टम बनाने की जरूरत पर जोर दिया।

डीपटेक फॉर भारत फाउंडेशन के को-फाउंडर और प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशि शेखर वेंपति ने कहा कि सरकार की कुछ पहले की पॉलिसी से सॉवरेन टेक्नोलॉजिकल फ्यूचर की बुनियाद तैयार करने में मदद मिली। उन्होंने कैशलेस इकोनॉमी पर जोर जैसी पॉलिसी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि सरकार की पहल से स्पेस और ड्रोन जैसे सेक्टर में अच्छी ग्रोथ देखने को मिली है। सरकार ने BharatGen पर बड़ा दांव लगाया है। यह AI के लिए इंडिया के मैनहट्टन प्रोजेक्ट जैसा है। उनका मतलब एआई के क्षेत्र में भारत के अपनी क्षमता विकसित करने की कोशिशों से था।


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रामकृष्ण इलेक्ट्रो कंपोनेंट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर शिवांग लुथरा ने विदेश निवेश आकर्षित करने में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) की भूमिका के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने कस्टम्स और प्रक्रिया से जुड़ी दूसरी चुनौतियों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि आने वाले ISM 2.0 में इन चुनौतियां का समाधान हो जाएगा। भारतजेन के वाइस-प्रेसिडेंट ऋषि बल ने कहा कि डेटा और टैलेंट के मामले में चैलेंज काफी हैं, लेकिन मौके भी काफी ज्यादा हैं।

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