देश के प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट आज दोपहर 2:56 बजे शीतकालीन बंदी के लिए बंद किए जाएंगे। यह दिन श्रद्धालुओं के लिए बहुत ही खास होता है, क्योंकि पूरे साल के बाद मंदिर के गर्भगृह और सिंह द्वार की भव्य सजावट और पूजा देखने को मिलती है। इस साल भी मंदिर को 12 क्विंटल गेंदे के फूलों से रंग-बिरंगा रूप दिया गया है। सुबह चार बजे से शुरू हुई पुष्प शृंगार महा अभिषेक और बाल-राजभोग पूजा श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देती है। माता लक्ष्मी को रावल द्वारा स्त्री वेश में गर्भगृह में स्थापित किया जाता है और उन्हें घृत कंबल ओढ़ाया जाता है।
अब तक करीब 16 लाख 55 हजार श्रद्धालु धाम दर्शन कर चुके हैं। शीतकालीन बंदी के बाद मंदिर अगले मौसम तक शांत रहेगा। यह दिन भक्ति, उत्साह और श्रद्धा का अनोखा संगम होता है।
श्रद्धालुओं का उत्साह और विशेष सजावट
मंदिर के सिंह द्वार की छठा और अन्य हिस्सों की मनोरम सजावट देखकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। अब तक इस सर्दी में करीब 16 लाख 55 हजार श्रद्धालु बदरीनाथ धाम आ चुके हैं। इस मौके पर 26 नवंबर को उद्धव जी, कुबेर जी और शंकराचार्य जी की गद्दी डोली पांडुकेश्वर पहुंचेगी।
कपाट बंदी का शुभ मुहूर्त और पूजा कार्यक्रम
प्रातः 4 बजे: पुष्प शृंगार, महा अभिषेक पूजन, बाल भोग और राजभोग पूजा संपन्न हुई।
दोपहर 12:15 बजे: बदरी विशाल की सायंकालीन पूजा।
दोपहर 1 बजे: महा लक्ष्मी जी का गर्भगृह में प्रवेश।
दोपहर 1:40 बजे: उद्धव जी, कुबेर जी और गरुड़ जी का गर्भगृह से बहिर्गमन।
दोपहर 1:40 बजे से 2:56 बजे तक: कपाट निमिलन की विधियां संपन्न।
दोपहर 2:56 बजे: देव पूजा के लिए कपाट बंद।
रावल का स्त्री वेश और लक्ष्मी स्थापना
कपाट बंद करने से पहले माता लक्ष्मी को रावल की ओर से स्त्री भेष में गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। रावल, लक्ष्मी की सहेली का रूप धारण करके माता को भगवान नारायण के साथ गर्भगृह में स्थापित करेंगे और उन्हें घृत कंबल से ढकेंगे।
ये घृत कंबल माणा की कुंवारी कन्याओं द्वारा बनाई जाती है, जो स्थानीय बकरी की ऊन से तैयार की जाती है। इस अनुष्ठान के साथ ही बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे।