बांग्लादेश हुए जन आक्रोश के दौरान भारत से आए फोन कॉल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की जान बचा ली और ढाका के गणभवन में भीड़ के घुसने से 20 मिनट पहले ही वह बच निकली थीं। अगर उन्हें भारत से एक फोन न आया होता, तो हसीना को वहीं रुककर उस उग्र भीड़ का सामना करना पड़ सकता था। इस कॉल के बाद वह दोपहर में एक कार्गो फ्लाइट के लिए हेलीकॉप्टर में सवार हुईं, और सीधे भारत आ गईं, जहां वह इस समय निर्वासन में हैं। अगर हसीना को 5 अगस्त 2024 को दोपहर 1.30 बजे वो फोन नहीं आता, तो उनके पिता की तरह उनकी भी हत्या हो सकती थी, और तब तक वहां से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर ही भारी भीड़ जमा हो गई होती।
