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बच्चों की जान पर खतरा? मंत्रालय ने दो साल से छोटे बच्चों में सिरप न देने की एडवाइजरी जारी की

राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत से जुड़े कफ सिरप के सैंपल में कोई हानिकारक टॉक्सिन नहीं पाया गया। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार डाइएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल मौजूद नहीं थे। केंद्र ने विशेष रूप से दो साल से कम उम्र के बच्चों में सिरप के उपयोग को सीमित करने की सलाह दी है

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 04, 2025 पर 10:52 AM
बच्चों की जान पर खतरा? मंत्रालय ने दो साल से छोटे बच्चों में सिरप न देने की एडवाइजरी जारी की
दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी-सर्दी की दवा न दें।

राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद कफ सिरप को लेकर फैल रही चिंता के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को राहत भरी जानकारी दी है। मंत्रालय के मुताबीक, बच्चों की मौत से जुड़े सैंपल की जांच में कोई भी ऐसा टॉक्सिन नहीं पाया गया जो किडनी को नुकसान पहुंचा सके। विशेष रूप से डाइएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल जैसी हानिकारक पदार्थों की उपस्थिति नहीं मिली। जांच में नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन जैसी संस्थाओं ने शामिल होकर सभी सैंपल का परीक्षण किया। राज्य सरकार ने भी जांच कर इन जहरीले पदार्थों की अनुपस्थिति की पुष्टि की।

हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी-सर्दी की दवा देने से बचने और पांच साल तक के बच्चों में भी डॉक्टर की सलाह लेने की सिफारिश की है। बच्चों में खांसी के ज्यादातर मामले अपने आप ठीक हो जाते हैं, इसलिए प्राथमिक उपचार के तौर पर हाइड्रेशन, आराम और सही देखभाल ही पर्याप्त है।

सैंपल और जांच प्रक्रिया

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से कफ सिरप के नमूने इकट्ठे किए। राज्य सरकार ने भी इन सैंपलों का परीक्षण कर तीनों दूषित पदार्थों की अनुपस्थिति की पुष्टि की।

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