Dadri Lynching Case: अखलाक हत्याकांड मामले में यूपी सरकार को झटका, आरोपियों के खिलाफ जारी रहेगा केस, मुकदमे को वापस लेने की याचिका खारिज

Dadri Lynching Case: दादरी में मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ा झटका लगा है। गौतम बुद्ध नगर जिले के सूरजपुर की एक फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने मंगलवार (23 दिसंबर) को मामले में आरोपियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे को वापस लेने वाली यूपी सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। यानी अब आरोपियों के खिलाफ केस जारी रहेगा

अपडेटेड Dec 23, 2025 पर 6:02 PM
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अखलाक की पीट-पीटकर हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ा झटका लगा है

Dadri Lynching Case: ग्रेटर नोएडा के बिसाहड़ा गांव में हुए चर्चित अखलाक मॉब लिंचिंग मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ा झटका लगा है। गौतम बुद्ध नगर जिले के सूरजपुर में स्थित एक फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने मंगलवार (23 दिसंबर) को 2015 के दादरी लिंचिंग मामले में आरोपियों के खिलाफ सभी आरोप वापस लेने की यूपी सरकार की अर्जी खारिज कर दी। यानी अब आरोपियों के खिलाफ केस जारी रहेगा।

2015 में गौतम बुद्ध नगर के दादरी इलाके में अखलाक को भीड़ ने इस आरोप में पीट-पीटकर मार डाला था कि उसने ईद के दौरान बीफ खाया था। मुकदमे को वापस लेने के संबंध में अभियोजन पक्ष की ओर से दायर की गई अर्जी पर अदालत ने सुनवाई के लिए आज यानी 23 दिसंबर की तारीख तय की थी।

यूपी सरकार ने ग्रेटर नोएडा के जारचा पुलिस थाना क्षेत्र में स्थित बिसाहड़ा गांव में 2015 में भीड़ द्वारा अखलाक की पीट-पीटकर हत्या के मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के लिए अदालत से अनुमति मांगी थी। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा वर्तमान में विचाराधीन है। कुछ गवाहों की गवाही भी अदालत में चल रही है।


इस बीच उत्तर प्रदेश शासन की ओर से मामले को वापस लेने की पहल की गई थी। शासन ने सामाजिक सद्भाव और कानून-व्यवस्था की दृष्टि से इस मुकदमे को वापस लेने की सिफारिश की थी। सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश शासन के न्याय अनुभाग-5 (फौजदारी) लखनऊ द्वारा 26 अगस्त 2025 को एक शासनादेश जारी किया गया था। इसमें इस केस को वापस लेने को मंजूरी दी गई थी।

मामला अभी गवाही के चरण में है। इसलिए अदालत द्वारा पूर्व में भी 12 नवंबर 2025 को सुनवाई की गई थी। दूसरी ओर मृतक अखलाक के परिजनों का कहना है कि वे अदालत के अंतिम निर्णय का इंतजार करेंगे। निर्णय आने के बाद ही आगे की रणनीति तय की जाएगी। परिजनों ने साफ कहा कि न्यायिक प्रक्रिया चल रही है और वे अदालत के निर्देशों का सम्मान करते हैं।

पुलिस ने शुरू में भारतीय दंड संहिता (IPC) की अलग-अलग धाराओं के तहत फर्स्ट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट (FIR) दर्ज की थी। इसमें हत्या का आरोप भी शामिल था। लिंचिंग के सिलसिले में कुल 18 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। इसमें तीन नाबालिग भी शामिल थे। 2016 में एक आरोपी की मौत हो गई। जबकि बाकी 14 फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।

एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज सौरभ द्विवेदी ने मंगलवार को क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) की धारा 321 के तहत पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की याचिका खारिज कर दी। LiveLaw की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने मामले की रोजाना सुनवाई का भी निर्देश दिया। साथ ही मामले से जुड़े सबूतों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश भी पारित किया।

'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, अखलाक की लिंचिंग के आरोपी लोगों के खिलाफ केस वापस लेने की अपनी अर्जी में उत्तर प्रदेश सरकार ने वही दलील दी है जो उसने उनकी जमानत का विरोध करते समय दी थी।

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बचाव पक्ष के वकील ने अखलाक की पत्नी इकरमन के बयानों पर भरोसा किया था, जो 29 सितंबर, 2015 और 13 अक्टूबर, 2015 को दर्ज किए गए थे। पुनीत और अरुण के वकील द्वारा दी गई दलील का जिक्र करते हुए कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "उक्त बयान में भी उसने आवेदक का नाम हमलावर के रूप में नहीं बताया।"

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