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पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू से क्यों मिलना चाहते थे दारा सिंह? मुलाकात पर कही थी ये बड़ी बात

Dara Singh: जीवनी में दारा सिंह ने लिखा है कि मेरे नेहरू जी से मिलने के तीन मकसद थे।एक मकसद था उन्हें नमस्ते करके बातचीत करने का ताकि मैं कह सकूं कि मैं प्रधान मंत्री को निजी तौर पर जानता हूं। दूसरा मकसद यह था कि 1959 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल चैंपियनशीप के दंगल चल रहे थे। इन कुश्तियों में पंडित जी मैं बुलाना चाहता था। दिल्ली में कुश्तियों के प्रमोटर मिस्टर गोगी थे

Surendra Kishoreअपडेटेड Jul 12, 2025 पर 6:34 PM
पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू से क्यों मिलना चाहते थे दारा सिंह? मुलाकात पर कही थी ये बड़ी बात
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलने की बड़ी इच्छा थी,इसलिए दारा सिंह ने उन्हें पत्र लिखा।

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलने की बड़ी इच्छा थी, इसलिए दारा सिंह ने उन्हें पत्र लिखा। एक सप्ताह बाद उनके सचिव का होटल जनपथ में फोन आया और दारा सिंह से पूछा कि किस काम के लिए मिलना चाहते हैं ? दारा सिंह ने कहा कि ‘जी मैं कुश्तियां लड़ता हुआ दुनिया का दौरा करके आया हूं। कुश्तियों में मेरा नाम दुनिया के एक नंबर के पहलवानों में है। बस पंडित जी के दर्शन करने की इच्छा है।’  उसने कहा कि ठीक है और उन्होंने हमें तीन दिन बाद मिलने का समय दे दिया।

1952 में पहली बार फिल्म में नजर आए दारा सिंह

दारा सिंह ने पहली बार सन 1952 में मद्रास की एक फिल्म के लिए कुश्ती लड़ी थी,पर वे हिंदी फिल्म किंगकांग के साथ मशहूर हो गये।धारावाहिक ‘रामायण’ में पवनसुत हनुमान की भूमिका के कारण दारा सिंह घर -घर में लोकप्रिय हो गये। हालांकि कुश्ती के क्षेत्र में दुनिया भर में नाम कमाने वाले दारा सिंह की शोहरत उनकी कुछ मशहूर मुकाबलों और उनमें उनकी विजय के कारण ही रही। दारा सिंह ने अपनी जीवनी पहले पंजाबी में लिखी,बाद में उसका हिंदी अनुवाद भी हुआ।

पंडित नेहरू से मिलने के तीन मकसद

जीवनी में दारा सिंह ने लिखा है कि मेरे नेहरू जी से मिलने के तीन मकसद थे।एक मकसद था उन्हें नमस्ते करके बातचीत करने का ताकि मैं कह सकूं कि मैं प्रधान मंत्री को निजी तौर पर जानता हूं। दूसरा मकसद यह था कि 1959 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल चैंपियनशीप के दंगल चल रहे थे। इन कुश्तियों में पंडित जी मैं बुलाना चाहता था। दिल्ली में कुश्तियों के प्रमोटर मिस्टर गोगी थे। उनके जीवन की बड़ी ख्वाहिश थी पंडित जी से भेंट करने की।तीसरा मकसद गोगी को मिलाने का था। इसलिए पंडित जी को मैंने पत्र लिखा था। मैं,मेरा भाई रंधावा और गोगी तय समय पर प्रधान मंत्री आवास पहुंचे। हमारे अलावा मिलने वाले वहां कई और भी थे।

मैंने सचिव से कहा कि यहां तो बहुत भीड़ है।मुलाकात कैसे होगी ? इस पर उसने कहा कि आपने सिर्फ दर्शन करने के लिए कहा था।इसलिए आपको इस तरह का समय दिया गया है।क्योंकि सप्ताह में एक दिन पंडित जी सिर्फ अपने दर्शनाभिलाषियों से मिलते हैं।फिर भी मैं उन्हें कह दूंगा।आपको कोई बात करनी हो तो खड़े -खड़े कर लेना। हम भी लोगों से थोड़ा हट कर एक जगह खड़े हो गये। जब पंडित जी हमारे पास आये तो सचिव ने कहा कि ये हैं पहलवान दारा सिंह,रंधावा और गोगी।पंडित जी ने हमसे हाथ मिलाया और पूछा कि कौन -कौन से देशों से दौरा करके आये हो ?

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