Delhi Excise Policy Amendment: दिल्ली सरकार ने अपनी आबकारी नीति में बदलाव किया है। इसके तहत दिल्ली आबकारी नियम, 2010 में संशोधन किया गया है। इस बदलाव में स्पेशल डिनैचर्ड स्पिरिट को रखने और इस्तेमाल की सीमा बढ़ाई गई है। साथ ही, चर्च में उपयोग होने वाली सैक्रामेंटल वाइन से जुड़े नियमों का दायरा भी बढ़ाया गया है, ताकि इसके इस्तेमाल को लेकर ज्यादा स्पष्ट व्यवस्था हो सके।
वित्त विभाग द्वारा 22 दिसंबर, 2025 को जारी अधिसूचना के अनुसार, ये संशोधन दिल्ली आबकारी अधिनियम, 2009 की धारा 81(1) के तहत दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के उपराज्यपाल की स्वीकृति से किए गए हैं। इसके साथ ही ये बदलाव आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन की तिथि से लागू होंगे।
नियम 33 और 78 के अंतर्गत स्पेशल डिनैचर्ड स्पिरिट से संबंधित परमिटों को नियंत्रित करने वाले प्रपत्र पी-6 में संशोधन के तहत, लाइसेंस प्राप्त परिसरों में एक समय में संग्रहित की जा सकने वाली अधिकतम मात्रा 6,744 किलोलीटर से बढ़ाकर 15,000 किलोलीटर कर दी गई है।
परमिट धारकों के लिए सालाना अधिकृत भंडारण सीमा लगभग दोगुनी कर दी गई है, जो 64,000 किलोलीटर से बढ़कर 1,20,000 किलोलीटर हो गई है।
अधिसूचना में दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के नियम 20 में भी संशोधन किया गया है, जिससे चर्च में इस्तेमाल होने वाली सैक्रामेंटल वाइन से जुड़े प्रावधानों का दायरा बढ़ाया गया है।
संशोधित प्रावधान के तहत, दिल्ली के बिशप को अब एक परमिट या कई परमिटों के माध्यम से प्रति वर्ष 4,000 लीटर तक ड्यूटी-फ्री सैक्रामेंटल वाइन खरीदने या आयात करने, उसका परिवहन करने और अपने पास रखने की अनुमति होगी। पहले नियम के तहत सिर्फ चर्च के वास्तविक उपयोग के लिए 91 लीटर तक सैक्रामेंटल वाइन खरीदने, उसका परिवहन करने और अपने पास रखने की अनुमति थी।
संशोधित नियम के अनुसार, आबकारी आयुक्त की स्वीकृति के अधीन, भारत में कहीं भी स्थित किसी भी अधिकृत डिस्टिलरी से शराब प्राप्त की जा सकती है।
CBI और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कथित अनियमितताओं की जांच के बाद आम आदमी पार्टी सरकार की 2021-22 की शराब नीति को वापस लेने के बाद से दिल्ली की आबकारी प्रणाली जांच के दायरे में रही है। नीति वापस लेने के बाद, राजधानी में पहले की तरह सरकार द्वारा नियंत्रित रिटेल प्रणाली फिर से लागू हो गई।
इसके बाद से आबकारी व्यवस्था में होने वाले ज्यादातर बदलाव नियमों में संशोधन और प्रशासनिक अधिसूचनाओं के जरिए किए गए हैं। इन बदलावों को मंजूरी देने में दिल्ली आबकारी अधिनियम के तहत उपराज्यपाल (LG) की भूमिका अहम रही है।