IGI Airport: दिल्ली हवाई अड्डे ने इस सर्दी में उड़ान संचालन पर कोहरे के प्रभाव को कम करने के लिए AI सिस्टम, एडवांस्ड प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स और बेहतर रनवे सुविधाओं को इंटीग्रेट किया है। हवाई अड्डे के संचालक, दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) ने बुधवार को कहा कि इन नए अपग्रेड और तकनीकों की मदद से कम विजिबिलिटी (LVPs) के दौरान फ्लाइट संचालन ज्यादा सुरक्षित, आसान और बिना रुकावट के हो सकेंगे।
एयरपोर्ट प्रेडिक्टिव ऑपरेशंस सेंटर (APOC), जो एक केंद्रीय भूमिका निभाता है, ने रियल-टाइम डेटा, मौसम का अनुमान लगाने वाले मॉडल और एयरपोर्ट के ग्राउंड ऑपरेशंस से जानकारियों को एक ही कमांड सिस्टम में जोड़ दिया है। DIAL ने कहा, "इससे कोहरे के दौरान तेजी से निर्णय लेने और संसाधनों की अधिक सटीक तैनाती संभव होगी। यह रनवे के उपयोग को अनुकूलित करने, गेट और पार्किंग स्टैंड का सही बंटवारा करने, विमानों के क्रम को प्राथमिकता देने और सभी भागीदारों के साथ समय पर संचार सुनिश्चित करने में मदद करता है। यह समन्वित, डेटा-आधारित दृष्टिकोण दृश्यता में तेजी से उतार-चढ़ाव के दौरान भी हवाई अड्डे की परिचालन निरंतरता बनाए रखने की क्षमता को काफी हद तक बढ़ाता है।"
एयरपोर्ट ने एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के सहयोग से एयरसाइड अपग्रेड का काम भी पूरा कर लिया है। रनवे 10/28 (दूसरा रनवे) के द्वारका छोर पर अब CAT III इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम लगा दिया गया है। DIAL ने बताया, "इस सुधार के साथ, दिल्ली एयरपोर्ट के तीन रनवे (10/28, 11L/29R और 11R/29L) अब दोनों छोर पर CAT-III मानकों के अनुरूप हैं, जिससे घने कोहरे में भी सुरक्षित लैंडिंग संभव हो सकेगी। नया अपग्रेड किया गया रनवे, मौजूदा रनवे के साथ मिलकर, कम विजिबिलिटी की स्थिति में प्रति घंटे लगभग 30 लैंडिंग करने में सक्षम बनाता है।"
एयरसाइड अपग्रेड की वजह से कोहरे के कारण होने वाली देरी से उबरने का समय लगभग 4 घंटे तक कम होने की उम्मीद है।
दिल्ली हवाई अड्डा कोहरे पर विंटर फॉग एक्सपेरिमेंट (WiFEX) के डेटा का भी उपयोग करेगा, जो 85% तक सटीक पूर्वानुमान प्रदान करने का दावा करता है। पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटिओरोलॉजी (IITM) ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और DIAL के सहयोग से कोहरे पर WiFEX के लिए एक दशक लंबा सहयोगी अनुसंधान कार्यक्रम शुरू किया है।
DIAL ने आगे कहा, "तापमान, नमी, हवा के पैटर्न, एरोसोल, प्रदूषण कण, विकिरण, कोहरे की बूंदों की सूक्ष्म भौतिकी और दृश्यता में परिवर्तन से संबंधित डेटा विशेष उपकरणों के माध्यम से एकत्र किया जाता है। यह डेटा उन्नत फॉग प्रेडिक्शन मॉडल बनाने में मदद करेगा, जो 1 से 36 घंटे पहले तक सही अनुमान दे सकेंगे। इससे यह भी पता चलेगा कि घना कोहरा बनने के पीछे स्थानीय मौसम कैसे काम करता है। साथ ही, विजिबिलिटी के सटीक अनुमान मिलने से एयरपोर्ट ऑपरेशंस और सुरक्षा दोनों में सुधार होगा और लंबे समय के लिए रिसर्च डेटा भी तैयार होगा।
DIAL के CEO विदेह कुमार जयपुरियार ने कहा, "हालांकि मौसम संबंधी व्यवधानों को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन ये अपग्रेड हमारी योजना बनाने, प्रतिक्रिया देने और तेजी से उबरने की क्षमता में काफी सुधार करेंगे।"