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H-1B वीजा की ₹880000 फीस, अमेरिका को ही लगेगा अधिक झटका! भारत के लिए ऐसे बनेगा मौका

भारतीय टेक इंडस्ट्री में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) के एक फैसले से कोहराम मच गया है। ट्रंप ने एच-1बी वीजा (H-1B Visa) की फीस $1 लाख यानी ₹88 लाख की तो अमेरिका में लिस्टेड इंफोसिस (Infosys), विप्रो (Wipro), कॉग्निजेंट (Cognizant), और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के शेयर 5% तक टूट गए। जानिए इस मामले को लेकर भारत का क्या रिस्पांस है और इसे मौके के तौर पर क्यों देखा जा रहा है?

अपडेटेड Sep 20, 2025 पर 1:24 PM
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने अमेरिका में प्रोफेशनल्स के एंट्री की चाबी एच-1बी वीजा की सालाना फीस $1 लाख यानी ₹88 लाख कर दी है। इसे लेकर हाहाकार मचा हुआ है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने अमेरिका में प्रोफेशनल्स के एंट्री की चाबी एच-1बी वीजा की सालाना फीस $1 लाख यानी ₹88 लाख कर दी है। इसे लेकर हाहाकार मचा हुआ है। इसे लेकर मनीकंट्रोल से बातचीत में भारत में एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि ट्रंप के फैसले का क्या असर होगा, इसका एसेसमेंट किया जा रहा है। उन्होंने खुलासा किया है कि इसे लेकर सरकार अमेरिका में इंडियन एंबेसी से संपर्क बनाए हुए है और भारतीय टेक इंडस्ट्री बॉडी नास्काम से भी सलाह-मशविरा किया जा रहा है। उनका कहना है कि ट्रंप की नई नीति से भारतीय प्रोफेशनल पर अधिक निर्भर रहने वाली अमेरिकी टेक कंपनियों को अधिक झटका लगेगा।

वह इसमें भारत के लिए मौके भी देख रहे हैं और कहा कि अब और कंपनियां प्रोफेशनल्स की कमी से निपटने के लिए यहां ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स सेटअप करेंगी। वैसे सरकार को यह भी लग रहा है कि ट्रंप की इस नयी नीति को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि इसका अमेरिका से बाहर के एंप्लॉयीज और कंपनियों, दोनों पर बराबर असर पड़ेगा।

ट्रंप के झटके से टेक इंडस्ट्री में कोहराम


अमेरिका में काम करने के लिए एच-1बी काफी अहम है। इसके जरिए कंपनियां अमेरिका में अपने प्रोजेक्ट के लिए भारत, चीन समेत अन्य देशों के टैलेंटेड लोगों को काम पर रखती हैं। अब नई व्यवस्था के तहत 21 सितंबर से एच-1बी वीजा के लिए इन कंपनियों को पहले सालाना $1 लाख डॉलर देना होगा और फिर एंप्लॉयीज की सैलरी यानी कि व्यावहारिक तौर पर यह कंपनियों के लिए आफत है। भारतीयों के लिए अधिक दिक्कत इसलिए है क्योंकि वर्ष 1990 में शुरू की गई एच-1बी वीजा व्यवस्था का सबसे अधिक फायदा भारतीय प्रोफेशनल्स को मिल रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल जितने एच-1बी वीजा जारी हुए, उसमें 71% भारतीयों को ही मिले।

ट्रंप ने खास वीजा प्रोग्राम भी किया लॉन्च

अमेरिकी राष्ट्रपति ने एच-1बी वीजा पर झटका दिया है, साथ ही एक खास गोल्ड कार्ड वीजा प्रोग्राम लॉन्च किया है। इस वीजा के जरिए $10 लाख डॉलर यानी ₹880 करोड़ के निवेश से अमेरिका की नागरिकता हासिल कर सकते हैं। उन्हें 15 हजार डॉलर की फीस जांच के लिए भी देनी होगी। वहीं कंपनियां अपने खास वर्कर्स यानी स्पांसर्ड वर्कर्स के लिए $2 लाख यानी ₹1.76 करोड़ में फास्ट-ट्रैक वीजा हासिल कर सकेंगी। इसके अलावा अमेरिकी सरकार की योजना एक प्लेटिनम कार्ड स्कीम लाने की भी है। यह वीजा $5 लाख यानी ₹4.40 करोड़ का पड़ेगा। इस कार्ड को हासिल करने पर कोई शख्स अमेरिका में एक साल में 270 दिनों तक रह सकेगा और खास बात ये है कि अमेरिका में इस दौरान उसे जो आय हासिल होगी, उस पर टैक्स नहीं लगेगा।

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