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Karwa Chauth 2025: महिला कर्मचारियों को करवा चौथ पर तोहफा, ड्रेस कोड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी छूट

Karwa Chauth: सुप्रीम कोर्ट ने अपनी महिला रजिस्ट्री कर्मचारियों को करवा चौथ के अवसर पर 10 अक्टूबर को पारंपरिक पोशाक पहनने की अनुमति देने की घोषणा की है। करवा चौथ को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। ये पवित्र त्योहार 10 अक्टूबर को पूरे भारत में मनाया जाएगा

अपडेटेड Oct 10, 2025 पर 1:36 PM
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Karwa Chauth: इस बार करवा चौथ 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा

Karwa Chauth: देशभर में आज (10 अक्टूबर) करवा चौथ का पर्व बड़ी धूमधाम और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन हर विवाहित महिला के लिए बेहद खास होता है। इस व्रत का संबंध पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य से जुड़ा है। ऐसे में बाजारों में भी खास रौनक देखने को मिलती है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में नौकरी करने वाली महिला कर्मचारियों के लिए ड्रेस कोड तय है। लेकिन शीर्ष अदालत ने अपनी महिला रजिस्ट्री कर्मचारियों को करवा चौथ के अवसर पर 10 अक्टूबर को पारंपरिक पोशाक पहनने की अनुमति देने की घोषणा की है।

करवा चौथ को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। ये पवित्र त्योहार 10 अक्टूबर को पूरे भारत में मनाया जाएगा। 'लाइव लॉ' ने एक आधिकारिक आदेश का हवाला देते यह जानकारी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने नोटिस में स्पष्ट किया है कि पारंपरिक परिधानों में साड़ी, सलवार-कमीज या अन्य सोवर ड्रेस शामिल हैं। लेकिन ये वर्कप्लेस की गरिमा के अनुरूप होने चाहिए। यह अनुमति केवल 10 अक्टूबर 2025 तक वैलिड रहेगी।

सर्कुलर में कहा गया है, "करवा चौथ के अवसर पर सक्षम प्राधिकारी ने रजिस्ट्री की महिला कर्मचारियों की ओर से प्राप्त अनुरोध को स्वीकार करते हुए उन्हें 10 अक्टूबर, 2025 को निर्धारित वर्दी के बजाय पारंपरिक सादे परिधानों में कार्यालय में उपस्थित होने की अनुमति दी है।" सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर सुहागिनों ने खुशी जताया है।


इस बीच, उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने घोषणा की है कि राज्य भर की विभिन्न जिला जेलों में बंद महिला कैदी 10 अक्टूबर को अपने पति के साथ करवा चौथ मना सकेंगी। आयोग ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि यह निर्णय उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग (संशोधन) अधिनियम 2013 की धारा 9 के तहत लिया गया है। यह प्रावधान आयोग को यह सुनिश्चित करने का अधिकार देता है कि महिलाओं को कारावास में भी उनके भावनात्मक और पारिवारिक अधिकारों से वंचित न किया जाए।

महिलाएं इस दिन दुल्हन की तरह सजती-संवरती हैं। सुहाग के प्रतीक लाल साड़ी, सिंदूर, चूड़ियां, बिंदिया, महावर और गहनों से सजी महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। इस व्रत को लेकर महिलाएं कई दिन पहले से ही तैयारियां शुरू कर देती हैं। घरों में साज-सज्जा, पूजा की थालियां सजाना और करवे खरीदना सब पहले से लिया जाता है। ऐसे में गुरुवार को बाजारों में सुबह से भारी भीड़ रही।

देश के तमाम शहरों के बाजारों में महिलाएं मेंहदी लगवाने और पारंपरिक चूड़ियां खरीदने में व्यस्त दिखीं। मेंहदी कलाकारों की दुकानों पर महिलाओं की लंबी कतारें लगीं। दिल्ली-NCR के बाजारों में जबरदस्त रौनक दिखी। दुकानों में पारंपरिक करवे, पूजा की थालियां और श्रृंगार के सामानों की भरमार है। इस बार मिट्टी और स्टील के डिजाइनर करवे खास आकर्षण बने हुए हैं। रंग-बिरंगे करवे और सुंदर सजी हुई थालियां महिलाओं को काफी पसंद आ रही हैं।

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व्यापारियों के मुताबिक, इस बार पिछले सालों की तुलना में करवा चौथ के बाजार में ज्यादा रौनक है। खरीदारी बढ़ने से कारोबारियों के चेहरों पर मुस्कान है। वहीं, महिलाएं पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ अपने इस प्रिय त्योहार की तैयारियों में जुटी हैं। बता दें कि करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं।

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