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Ladakh Violence: सुप्रीम कोर्ट में 6 अक्टूबर को होगी सोनम वांगचुक की रिहाई पर सुनवाई, पत्नी ने NSA के तहत गिरफ्तारी को दी थी चुनौती

Sonam Wangchuk: वांगचुक की पत्नी ने दावा किया है कि उन्हें खुद लेह में वास्तविक तौर पर घर में नजरबंद रखा गया है। साथ ही वांगचुक द्वारा स्थापित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) के छात्रों और कर्मचारियों को उत्पीड़न, डराने-धमकाने और जांच का सामना करना पड़ रहा है

अपडेटेड Oct 05, 2025 पर 7:38 AM
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सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को NSA की धारा 3(2) के तहत हिरासत में लिया गया था

Sonam Wangchuk: लद्दाख में जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लिए जाने के मामले में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। उनकी पत्नी गीतांजलि जे. आंगमो द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 6 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। बता दें कि यह याचिका वांगचुक की हिरासत को चुनौती देती है और उनकी तत्काल रिहाई की मांग करती है।

याचिका में NSA के तहत हिरासत को दी गई चुनौती

सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को NSA की धारा 3(2) के तहत हिरासत में लिया गया था। यह तब किया गया जब लद्दाख में राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप ले लिया था। इन विरोध प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 लोग घायल हुए थे। हिंसा के बाद वांगचुक को NSA के तहत हिरासत में ले लिया गया। इसके तहत किसी को भी बिना किसी मुकदमे के 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है।


याचिका में आरोप लगाया गया है कि वांगचुक की हिरासत 'अवैध, मनमानी और असंवैधानिक' है, जो संविधान के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों अनुच्छेद 14, 19, 21 और 22 का उल्लंघन करती है। वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा के माध्यम से दायर याचिका में बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट दायर की गई है और लद्दाख प्रशासन को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे 'सोनम वांगचुक को तत्काल इस अदालत के समक्ष पेश करें।'

जोधपुर जेल में शिफ्ट कर मूलभूत सुविधाओं से किया वंचित

याचिका में कहा गया है कि संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर लंबे समय तक भूख हड़ताल करने के बाद स्वास्थ्य लाभ ले रहे वांगचुक को तुरंत हिरासत में लेकर जोधपुर केंद्रीय जेल में भेज दिया गया। आरोप है कि उन्हें दवाइयां, व्यक्तिगत सामान या परिवार और वकील से मिलने की सुविधा दिए बिना जोधपुर भेज दिया गया। याचिका में यह भी कहा गया है कि वांगचुक या उनके परिवार को आज तक हिरासत के आधार की कोई जानकारी नहीं दी गई है।

राज्य द्वारा की जा रही दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई

वांगचुक की पत्नी ने दावा किया है कि उन्हें खुद लेह में वास्तविक तौर पर घर में नजरबंद रखा गया है। साथ ही वांगचुक द्वारा स्थापित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) के छात्रों और कर्मचारियों को उत्पीड़न, डराने-धमकाने और जांच का सामना करना पड़ रहा है। याचिका में कहा गया है कि वांगचुक को मनमाने ढंग से जोधपुर स्थानांतरित करना, HIAL के छात्रों का उत्पीड़न और पत्नी को नजरबंद करना दुर्भावनापूर्ण राज्य कार्रवाई को दिखाता है।

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि वांगचुक की हिरासत ने लद्दाख के लोगों को गंभीर मानसिक पीड़ा दी है। एक दुखद घटना की रिपोर्ट दी गई है जिसमें लद्दाख बौद्ध एसोसिएशन के एक सदस्य ने कथित तौर पर वांगचुक की हिरासत से अवसादग्रस्त होकर आत्महत्या कर ली है। याचिका में गृह मंत्रालय, लद्दाख UT प्रशासन और जोधपुर जेल अधीक्षक सहित अन्य को पक्षकार बनाया गया है। इसमें अदालत से वांगचुक को दवाइयां और अन्य बुनियादी जरूरतें तुरंत सुनिश्चित करने, उनका मेडिकल रिपोर्ट पेश करने और HIAL के उत्पीड़न को रोकने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।

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