PM Modi, Xi Jinping And Putin: 'अनहोनी को होनी कर दें होनी को अनहोनी...एक जगह जब जमा हों तीनों अमर-अकबर-एन्थोनी', साल 1977 में आई फिल्म अमर अकबर एन्थोनी के इस गाने को सोशल मीडिया पर आज लोग एक बार फिर याद कर रहे हैं। इस गाने को याद करने की पीछे की वजह है...चीन के तियानजिन शहर में हुए शंघाई सहयोग संगठन की बैठक। सोमवार को इस बैठक से पीएम मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात की एक ऐसी तस्वीर सामने आई...जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में है। इस तस्वीर को देख कई एक्सपर्ट ने सोशल मीडिया पर यहां तक कह रहे हैं कि, अब वर्ल्ड ऑर्डर बदलने वाला है।
चीन में आयोजित SCO समिट में क्या-क्या हुआ और भारत के नजरिए ये बैठक कितना अहम रहा आइए जानते हैं।
भारत के लिए काफी खास रही बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा कई मायनों में खास रही। प्रधानमंत्री मोदी की आठ साल बाद हुई चीन यात्रा में उनकी शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन से लंबी और अहम मुलाकातें हुईं। पीएम मोदी की राष्ट्रपति पुतिन के साथ तो कार में भी लगभग 45 मिनट तक बातचीत चली। दोनों नेताओं के साथ पीएम मोदी की इन बैठकों में कई अहम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई, जिसके बाद भारत-चीन के बीच सीधी फ्लाइट फिर शुरू करने का फैसला हुआ और दिसंबर में पुतिन की भारत यात्रा भी तय हो गई।
ज्वाइंट डिक्लेरेशन में पहलगाम हमले का जिक्र
SCO समिट से जो सबसे बड़ी बात सामने आई है, वो भारत के उस स्टैंड का सभी देशों ने समर्थन किया, जो आतंकवाद को लेकर हमेशा से हमने अपनाया है। SCO समिट में ज्वाइंट डिक्लेरेशन साइन हुआ और इसमें पहलगाम हमले का भी जिक्र किया गया। सभी देशों ने मिलकर माना कि पहलगाम में हुआ हमला गलत था और ऐसा आतंकवादी हमले स्वीकार्य नहीं है। शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों ने 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने हमले में मारे गए लोगों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और जोर देकर कहा कि हमले के दोषियों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।
बता दें कि, भारत के लिए ये बात अहम इसलिए हो जाती है क्योंकि पहलगाम हमले को चीन एससीओ के घोषणा पत्र में शामिल नहीं कर रहा था। जून में हुई रक्षा मंत्रियों की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सिर्फ इसी वजह से ज्वाइंट डिक्लेरेशन पर साइन करने से इनकार कर दिया था। ऐसे में सभी देशों का पहलगाम हमले की निंदा करना और आतंकवाद पर एकजुट होना भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत की ओर इशारा करता है।
पीएम मोदी और पुतिन की दोस्ती
अमेरिका के 50 फीसदी ट्रैरिफ लगाने के बाद पहली बार पीएम मोदी दुनिया के किसी बड़े मंच पर शामिल हुए थे। ट्रंप के टैरिफ वार के आगे घुटने नहीं टेककर भारत अपने मजबूत इरादों का संकेत पहले ही दे चुका है। अब पुतिन और जिनपिंग से पीएम मोदी की मुलाकात से ट्रंप की नींद उड़ सकती है। भारत, रूस और चीन ये तीनों महाशक्तियां अमेरिका के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी हैं। इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच दो बार मुलाकत हुई है। पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के दौरान कई अहम मुद्दे पर चर्चा भी हुई है।
अलास्का में डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन के साथ सफर के कुछ ही दिन बाद, रूसी राष्ट्रपति और पीएम मोदी एक ही कार से समिट के शामिल होने पहुंचे। इस मुलाकात का संदेश साफ था और कई लोग इसे ट्रंप के लिए एक झटका मान रहे हैं, क्योंकि वे पहले से ही भारत के रूस से तेल खरीदने पर नाराज है। अमेरिका ने भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जिसमें से 25 प्रतिशत रूसी तेल खरीदने के लिए है। अमेरिकी दबाव के बावजूद, भारत ने मास्को के साथ अपना तेल व्यापार बंद नहीं किया है। भारत ने ट्रंप टैरिफ को पहले से ही "अनफेयर, अनजस्टिफाइड और अनरिजनेबल" करार दिया है।
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