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Nithari Kand: 'कोठी में हमारे बच्चों की आत्म भटक रही है...कैसे भूल जाएं सबकुछ', खौफ और गुस्से के बीच इंतजार के 20 साल

Nithari Case : इस केस के करीब 20 साल बाद भी इन हत्याओं का दोषी कौन है, यह अब भी एक पहेली है। जब मैंने निठारी कांड के पीड़ित परिवारों से बात की तो उनका बस एक ही सवाल था, 20 साल बाद भी हमें न्याय क्यों नहीं मिला। आखिर हमारे बच्चों को किसने मारा। और कौन हमारे सवालों का जवाब देगा

Rajat Kumarअपडेटेड Nov 28, 2025 पर 4:29 PM
Nithari Kand: 'कोठी में हमारे बच्चों की आत्म भटक रही है...कैसे भूल जाएं सबकुछ', खौफ और गुस्से के बीच इंतजार के 20 साल
निठारी गांव की गलियों में 20 साल पहले पसरे सन्नाटे को आज भी महसूस किया जा सकता है।

मुझे अक्सर लगता था की इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक जो इंसानों की तरह अपनी जिंदगी जीते हैं और एक वो जिनपर शैतान का साया होता है। पर मैं गलत था, इस दुनिया में तीसरे तरह के लोग भी होते हैं...मुझे आज भी वो पेपर का पन्ना याद है जिसपर एक हैवानियत की कहानी छपी थी। जब निठारी कांड की कहानी पहली बार अखबारों में छपकर घर तक आई तो उस दौरान मैं, क्लास 7 का छात्र था। उस दौरान भी अखबारों के माध्यम से पीड़ित परिवार के दर्द को शब्दों में उतरते देखा था। वहीं इस घटना के करीब 20 साल बाद अब बतौर पत्रकार इस मामले पर रिपोर्टिंग के दौरान भी पड़ित परिवारों के वही दर्द भरे शब्द... मेरे कानों में पड़ रहे थे। 20 सालों से वो बस एक ही सवाल पूछ रहे हैं आखिर हमारे बच्चों को किसने मारा और हमे न्याय कहां से मिलेगा?

कोठी नंबर D-5 की अबूझ पहेली

कोठी नंबर D-5 ... इस शब्द को सुनते ही नोएडा के निठारी गांव में रहने वाले लोगों के आंखों में खौफ, गुस्सा और कभी ना खत्म होने वाला इंतजार, झलकता है। निठारी गांव की गलियों में 20 साल पहले पसरे सन्नाटे को आज भी महसूस किया जा सकता है। 20 साल पहले निठारी ने देश को हिला देने वाला कांड देखा था। देश के सबसे भयावह सीरियल किलिंग में से एक निठारी कांड एक बार फिर चर्चा में है। 11 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त रहे सुरिंदर कोली को इस केस से जुड़े आखिरी मामले में भी बरी कर दिया है। कोठी नंबर D-5 और इसके मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और इस कोठी में काम करने वाला सुरिंदर कोली, एक अरसे तक मीडिया और दुनिया की नजरों में हैवान रहे। 2005 से 2006 के बीच निठारी गांव और आसपास से दर्जनों बच्चे और लड़कियों के गायब होने के बाद यह केस खुला था। आरोप दोनों पर लगे। सुरंदर कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को 2009 में रेप, हत्या, सबूतों को नष्ट करने से जुड़े मामलों में गाजियाबाद की एक सीबीआई कोर्ट ने मौत की सजा तक सुनाई थी।

कौन देगा सवालों के जवाब?

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