नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा है कि अब अमेरिका को भारतीयों की जरूरत नहीं रह गई है, ऐसे में हमें यह दिखाना चाहिए की इन इंडियंस का भारत में स्वागत है और ये बड़ा बदलाव ला सकते हैं। 22 सितंबर को नेटवर्क18 के कार्यक्रम में उन्होंने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि इंडिया के लिए सबसे ज्यादा मौके ट्रैवल और टूरिज्म के क्षेत्र में है।
टूरिज्म के बड़े डेस्टिनेशन के रूप में इंडिया की पहचान बनानी होगी
उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में आक्रामक होने की जरूरत है। दुनिया के अमीर और मशहूर लोगों के लिए इंडिया को ग्लोबल डेस्टिनेशन बनाने के लिए टूरिज्म पर फोकस बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इंडिया को अपनी उत्पादकता बढ़ाने और ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनने के लिए स्थितियां पैदा की हैं। हमें इस मौके को नहीं गंवाना चाहिए।
लॉजिस्टिक्स कॉस्ट में कमी लानी होगा और इंटरेस्ट रेट्स घटाने होंगे
कांत ने कहा, "जब दुनिया के दक्षिणी और दूसरे देशों के लिए ग्लोबलाइजेशन का फायदा उठाने का समय आया तो आपने WTO की हत्या कर दी, आपने विकसित और कम विकसित के बीच के फर्क को हटा दिया और अब आप फिर मैन्युफैक्चरिंग को वापस अमेरिका लाना चाहते है। इसलिए इंडिया को मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस बढ़ाने की जरूत है। इसके लिए हमें लॉजिस्टिक्स कॉस्ट में कमी लानी होगी। इंटरेस्ट रेट्स घटाने होंगे।"
विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए ग्रोथ बढ़ानी होगी
उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर का कम वेल्थ क्रिएट करना है। विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ग्रोथ की रफ्तार बढ़ानी होगी। उन्होंने कहा कि अगर इंडिया इस लक्ष्य को हासिल करना चाहता है तो अफसरों को नियम और कानून आसान बनाने होंगे और प्राइवेटाइजेशन के साथ टूरिज्म को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने चाइनीज कंपनियों के साथ मिलकर इंडियन कंपनियों के जवाइंट वेंचर्स बनाने पर भी जोर दिया। इससे चीन की कंपनियां इंडिया में मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर सकती है।
ट्रंप भारत को चोट पहुंचाने वाली पॉलिसी का कर रहे ऐलान
अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार ऐसी पॉलिसी का ऐलान कर रहे हैं, जो सबसे ज्यादा चोट इंडिया को पहुंचाने वाली हैं। पहले उन्होंने इंडिया पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया। इंडिया के अलावा अमेरिका ने सिर्फ ब्राजील पर इतना ज्यादा टैरिफ लगाया है। 19 सितंबर को ट्रंप ने एच-1बी वीजा की फीस बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर करने का ऐलान किया। हालांकि, बाद में व्हाइट हाउस की तरफ से यह स्पष्ट किया गया कि यह 21 सितंबर के बाद एच-1बी वीजा का आवेदन करने वाले लोगों पर लागू होगा। यूएस गवर्नमेंट ने यह भी कहा कि यह फीस सिर्फ एक बार न देनी होगी न कि हर साल इनका पेमेंट करना होगा।