Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा सबूत सामने आया है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में जिन 3 संदिग्ध आतंकियों के स्कैच जारी हुए थे, उसमें एक की पहचान पाकिस्तानी आतंकी हाशिम मूसा के रूप में हुई है। ये पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स में कमांडो रह चुका है। सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि मूसा अब पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के साथ काम कर रहा है। उसको लश्कर के मास्टरमाइंडों ने गैर-स्थानीय लोगों के साथ-साथ सुरक्षा बलों पर आतंकी हमले करने के लिए एक खास मिशन पर कश्मीर भेजा था।
एक अधिकारी ने कहा, "संभव है कि उसे स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) जैसे पाकिस्तान के विशेष बलों ने एलईटी को आतंकी हमले के लिए दिया हो।" एसएसजी के पैरा-कमांडो अपरंपरागत युद्ध में ट्रेंड होते हैं। वे सिक्रेट ऑपरेशन में माहिर होते हैं। उन्हें कठोर ट्रेनिंग व्यवस्था में रणनीतिक सोच के अलावा शारीरिक कंडीशनिंग और मानसिक फिटनेस पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। SSG कमांडो अत्याधुनिक हथियारों के साथ-साथ हाथ से हाथ का मुकाबला करने में माहिर होते हैं। उनके पास उच्च नेविगेशन कौशल होते हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मूसा की पाकिस्तानी सेना की पृष्ठभूमि की पुष्टि 15 कश्मीर ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGW) से पूछताछ के दौरान हुई है, जो पहलगाम हमले की जांच में मुख्य संदिग्ध के रूप में सामने आए हैं। उन्होंने पाकिस्तानी हमलावरों की मदद की थी। पहलगाम आतंकी हमले में ISI की भूमिका के साथ-साथ कश्मीर में पहले हुए हमलों में भी मूसा की भूमिका देखी जा रही है।
तीन हमलों को दे चुका है अंजाम
मूसा तीनों हमलों में एक आम अपराधी के रूप में उभरा है। पाकिस्तान में ट्रेनिंग ले चुके दो अन्य स्थानीय आतंकवादी जुनैद अहमद भट और अरबाज मीर भी गगनगीर और बूटा पथरी हमलों में शामिल थे। लेकिन नवंबर और दिसंबर 2024 में सुरक्षा बलों के साथ अलग-अलग मुठभेड़ों में उन्हें मार गिराया गया था। मूसा तब से कश्मीर में गैर-स्थानीय लोगों को निशाना बनाने के लिए आतंकी मिशन को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।
बैसरन में 25 पर्यटकों सहित 26 नागरिकों की हत्या करके बड़ा हमला किया। पहलगाम हमले की जांच ने दक्षिण कश्मीर में OGW और आतंकी मददगारों के एक स्थानीय नेटवर्क की संलिप्तता को उजागर किया है। उन्होंने हमले में इस्तेमाल किए गए हथियारों के परिवहन में मदद की। स्थानीय लोगों की भागीदारी के साथ हमले स्थल की विस्तृत रेकी की गई, जिससे हमले से पहले और बाद में आतंकवादियों के छिपने के स्थानों का पता लगाने में मदद मिली।
हालांकि, अब तक मिली जानकारी में दो पाकिस्तानी आतंकवादियों हाशमी मूसा और अली भाई तथा कई स्थानीय लोगों आदिल थोकर और आसिफ शेख की भूमिका की पुष्टि हुई है। लेकिन OGW से पूछताछ में और भी पाकिस्तानी आतंकवादियों के शामिल होने की बात सामने आई है।
एक सूत्र ने अखबार को बताया कि बैसरन के आसपास के जंगलों में तलाशी अभियान अब आखिरी चरण में है। हमलों का स्थान अब "काफी हद तक ज्ञात" है। एक अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "अब तलाशी अभियान को सीमित क्षेत्र तक सीमित कर दिया गया है।"