बिहार में SIR और वोटर लिस्ट को लेकर विपक्ष ने चुनाव आयोग पर “वोट चोरी” और गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। इस पर अब चुनाव आयोग ने शनिवार को कहा कि अगर किसी पार्टी को वोटर लिस्ट में गलती दिखती है, तो उन्हें यह मुद्दा उसी समय उठाना चाहिए था जब चुनाव से पहले दावे और आपत्तियां दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही थी। आयोग ने यह भी बताया कि हर चुनाव से पहले वोटर लिस्ट सभी राजनीतिक पार्टियों को दी जाती है ताकि अगर कोई गलती हो, तो उसे समय रहते सुधारा जा सके।
चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा, "हाल ही में, कुछ राजनीतिक दल और व्यक्ति वोटर लिस्ट में खामियों के बारे में मुद्दे उठा रहे हैं, जिनमें पहले की तैयार की गई वोटर लिस्ट भी शामिल हैं।"
आयोग ने कहा, "वोटर लिस्ट से जुड़े किसी भी मुद्दे को उठाने का सही समय उस चरण के दावे और आपत्तियों की अवधि के दौरान होता, जो कि सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के साथ मतदाता सूची साझा करने के पीछे का उद्देश्य है।
बयान में कहा गया है, "अगर ये मुद्दे सही समय पर सही माध्यमों से उठाए गए होते, तो संबंधित SDM ERO को चुनावों से पहले गलतियों को सुधारने में मदद मिलती।"
आयोग ने कहा कि वह राजनीतिक दलों की ओर से वोटर लिस्ट की जांच का स्वागत करता है। आयोग ने कहा, "इससे SDMs/EROs को खामियों को दूर करने और वोटर लिस्ट को फिल्टर करने में मदद मिलेगी, जो हमेशा से चुनाव आयोग का उद्देश्य रहा है।"
चुनाव आयोग रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करने जा रहा है।
चुनाव आयोग का बयान और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की जानकारी उन आरोपों पर आई है, राहुल गांधी ने 'Atom Bomb' बताकर EC पर लगाए थे। बेंगलुरु सेंट्रल के महादेवपुरा विधानसभा सीट के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए राहुल गांधी 'चुनाव आयोग पर BJP के साथ मिलकर' काम करने का आरोप लगाया।
RJD नेता तेजस्वी यादव ने भी चुनाव आयोग पर BJP नेताओं और कार्यकर्ताओं को दो मतदाता फोटो पहचान पत्र जारी करके बिहार में वोटर लिस्ट में हेरफेर करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
ECI ने आरोपों को खारिज कर दिया है और राहुल गांधी से औपचारिक शिकायत दर्ज करने के लिए एक हलफनामे पर हस्ताक्षर करने को कहा है, जिस पर कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने पहले ही भारत के संविधान की शपथ ले ली है।