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भारत का वो एक्टर जो पाकिस्तानी सेना में बना मेजर, कहानी देश के सबसे बहादुर जासूस 'ब्लैक टाइगर' की

Indian Spy in Pakistan : 1975 तक वह पूरी तरह अपनी नई पहचान में ढल चुके थे। इसके बाद उन्हें पाकिस्तान भेजा गया, जहां उन्होंने कराची यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और कानून की पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे पाकिस्तानी सेना के सैन्य लेखा विभाग में शामिल हो गए और धीरे-धीरे मेजर की रैंक तक पहुंच गए

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 01, 2025 पर 5:26 PM
भारत का वो एक्टर जो पाकिस्तानी सेना में बना मेजर, कहानी देश के सबसे बहादुर जासूस 'ब्लैक टाइगर' की
‘ब्लैक टाइगर’ को भारत के सबसे बहादुर और कीमती जासूसों में गिना जाता है।

Indian Spy in Pakistan : जासूसों की बात होते ही दिमाग में जो तस्वीर उभरकर सामने आ जाती है, जो जेम्स बॉन्ड की ही होती है। एक ऐसा शख्स जो दुशमन के बीच रहकर भी अपनी पहचान उजागर नहीं होने देता और उनके मिशन को फेल कर देता है। ऐसी ही कहानी थी रवींद्र कौशिक की। खुफिया दुनिया में कई रोमांचक कहानियां हैं, लेकिन राजस्थान के युवा रंगमंच कलाकार रविंदर कौशिक की कहानी सबसे अलग और प्रेरणादायक मानी जाती है। ब्लैक टाइगर के नाम से मशहूर उन्हें नवंबर 1975 में सिर्फ 23 साल की उम्र में पाकिस्तान भेज दिया गया था.

रवींद्र कौशिक कई सालों तक पाकिस्तान की सेना में मेजर के पद पर रहे। ‘ब्लैक टाइगर’ को भारत के सबसे बहादुर और कीमती जासूसों में गिना जाता है। उनका जीवन देश के लिए संघर्ष और बलिदान की मिसाल बन गया।

रविंदर कौशिक का जन्म 11 अप्रैल 1952 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुआ था। उनके पिता जे.एम. कौशिक भारतीय वायु सेना में काम करते थे। रविंदर ने एस.डी. बिहानी पी.जी. कॉलेज से पढ़ाई की और कॉलेज के दिनों में वे अपने शानदार नाटकों और अभिनय के लिए जाने जाते थे। मंच पर उनके इसी हुनर को देखकर भारत की खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ ने उन्हें चुना और उनकी ज़िंदगी एक गुप्त मिशन की ओर बढ़ गई।

जब रविंदर कौशिक बने ‘नबी अहमद शाकिर’

साल 1973 में, जब रविंदर कौशिक सिर्फ 23 साल के थे, तब उन्हें भारत की खुफिया एजेंसी 'रॉ' ने चुना। उन्होंने अपने परिवार को बताया कि वे नौकरी के लिए दिल्ली जा रहे हैं, लेकिन असल में वे एक गुप्त मिशन पर जा रहे थे। sadashree.substack.com की रिपोर्ट के अनुसार, कौशिक ने इसके बाद दो साल का कठिन प्रशिक्षण लिया। इस दौरान उन्हें उर्दू भाषा, इस्लाम धर्म, पाकिस्तान की सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं की गहराई से जानकारी दी गई। अपनी असली पहचान को पूरी तरह मिटाने के लिए उन्होंने इस्लाम कबूल किया, खतना करवाया और उन्हें नया नाम दिया गयानबी अहमद शाकिर।

1975 तक वह पूरी तरह अपनी नई पहचान में ढल चुके थे। इसके बाद उन्हें पाकिस्तान भेजा गया, जहां उन्होंने कराची यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और कानून की पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे पाकिस्तानी सेना के सैन्य लेखा विभाग में शामिल हो गए और धीरे-धीरे मेजर की रैंक तक पहुँच गए।

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