5 अगस्त को पहाड़ी गांव धराली में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के बाद उत्तरकाशी में भारी तबाही मच गई, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ। अब भी बचाव अभियान चल रहा है, इस बीच नेपाल से आई प्रवासी मजदूर काली देवी और उनके पति विजय सिंह ने अपने उस खौफनाक अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया कि किस तरह वे उस आपदा से बाल-बाल बच गए, जिसमें उनके आसपास कई लोगों की जान चली गई।
सिंह ने अपने बेटे के साथ दो मिनट की उस फोन कॉल को भी याद किया, जो काफी इमोशनल के साथ-साथ तनावपूर्ण भी थी। उन्होंने बताया कि घाटी में बादल फटने से आई विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन के बाद से उनका बेटा लापता है और ये बातचीत हादसे से ठीक पहले की है।
NDTV के अनुसार सिंह ने कहा, "उसने मुझसे कहा, 'पापा, हम बच नहीं पाएंगे; नाले में बहुत पानी है।'" सिंह घाटी में सड़क और पुल बनाने के काम में लगे नेपाल के 26 मजदूरों के ग्रुप का हिस्सा थे।
देवी ने कहा, "जब हम घाटी से निकले थे, तो हमने कभी नहीं सोचा था कि इस इलाके में ऐसी आपदा आएगी। अगर मुझे आने वाली बाढ़ के बारे में पता होता, तो मैं अपने बच्चों को यहां नहीं छोड़ती।" वह अपने पति के साथ गंगावाड़ी तक पैदल चली थीं, जो हरसिल घाटी जाने वाला रास्ता है, लेकिन जब उन्हें पता चला कि भागीरथी नदी पर बना सीमा सड़क संगठन का एक अहम पुल बाढ़ में बह गया है, तो उन्हें वापस लौटना पड़ा।
उन्होंने आगे कहा, "मैं सरकार से अपील करती हूं कि हमें हर्षिल घाटी पहुंचाया जाए। हम अपने बच्चों को खुद ढूंढ लेंगे।"
उत्तरकाशी में राहत और बचाव अभियान जारी है और अधिकारियों ने अब तक कम से कम 70 नागरिकों को बचाया है, जबकि तीन लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
भारतीय सेना के अनुसार, एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (JCO) और आठ सैनिक अभी भी लापता हैं। बचाव की कोशिशों के बाद 9 सैन्यकर्मियों और तीन नागरिकों को ज्यादा अच्छे इलाज के लिए हवाई मार्ग से देहरादून ले जाया गया है।
इसके अलावा, गंभीर रूप से घायल तीन नागरिकों को एंबुलेंस से AIIMS ऋषिकेश ले जाया गया, जबकि आठ अन्य का उत्तरकाशी के जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। सेना ने प्रभावित इलाके से दो शव बरामद होने की भी पुष्टि की है।